नई दिल्ली. सड़कों और चौराहों की सफाई पर बढ़ रही लागत को कम करने के लिए स्वीडन (Sweden) के एक शहर सोडरताल्जे की सड़कों और चौराहों से सिगरेट के टुकड़ों को उठाने के लिए कौवों की भर्ती की जा रही है. ये कौवे सिगरेट के टुकड़ों को बटोरने का काम करते हैं. उन्हें हर टुकड़े को लाने पर थोड़ा सा खाना दिया जाता है. कुछ कौवे स्टॉकहोम (Stockholm) के पास स्थित शहर सोडरताल्जे में एक स्टार्टअप द्वारा डिजाइन की गई एक विशेष मशीन में सिगरेट के इन टुकड़ों को जमा करते हैं. स्टार्टअप कंपनी कॉर्विड क्लीनिंग (Corvid Cleaning) के संस्थापक क्रिश्चियन गुंथर-हैनसेन (Christian Günther-Hanssen) को भरोसा है कि कौवों को काम पर लगाने से शहर की सफाई की लागत में बड़ी कटौती की जा सकती है.
गौरतलब है कि स्वीडन की सड़कों पर हर साल 1 अरब से अधिक सिगरेट के टुकड़े फेंके जाते हैं, जो वहां पर फैलने वाले पूरे कचरे का 62% हिस्सा है. सोडरताल्जे सड़कों की सफाई पर 20 मिलियन स्वीडिश क्रोनर (20m Swedish kronor) खर्च करता है. गुंथर-हैनसेन का अनुमान है कि उनके तरीके से शहर में सिगरेट के टुकडों को बटोरने में होने वाले खर्च में कम से कम 75 फीसदी की कटौती की जा सकती है. सोडरताल्जे पूरे शहर में कौवों को काम पर लगाने से पहले एक पायलट प्रोजेक्ट चला रहा है, जिसमें पक्षियों के स्वास्थ्य पर खराब असर नहीं डालने वाले कचरे की सफाई को शामिल करने पर विचार किया जा रहा है.
शोध और अध्ययनों से ये सामने आया है कि पक्षियों के कोर्विड परिवार के सदस्य न्यू कैलेडोनियन कौवे की तर्क क्षमता एक सात साल के इंसान के बराबर है, जिससे वे थोड़े से प्रशिक्षण के बाद कचरे को बटोरने के लिए सबसे चतुर पक्षी बन जाते हैं. गुंथर-हैनसेन ने कहा कि इन कौवों को सिखाना आसान होता है और उनके एक-दूसरे से सीखने की संभावना भी अधिक होती है. साथ ही उनमें गलती से कोई भी कूड़ा खाने का जोखिम कम होता है.
माना जा रहा है कि अगर ये पायलट प्रोजेक्ट सफल रहा तो सिगरेट के कचरे को साफ करने की लागत में तीन-चौथाई की कमी आ सकती है, जो एक बड़ी बचत कही जा सकती है. यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या यह तरीका दूसरी जगहों पर भी काम कर सकता है.
बहरहाल हम कौवों को भी सिगरेट के कचरे को उठाना सिखा सकते हैं, लेकिन हम सभी इंसानों को यह नहीं सिखा सके कि कचरे को सड़कों पर न फेंके.
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