प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतह अल-सीसी. (फाइल फोटो)
नई दिल्ली. मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतह अल-सीसी अपनी भारत की तीन दिवसीय यात्रा पर मंगलवार को नई दिल्ली पहुंचे. अल-सीसी 24 से 26 जनवरी तक भारत यात्रा पर रहेंगे. इस दौरान वह गणतंत्र दिवस समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में भाग लेंगे. यह पहली बार है कि मिस्र के किसी राष्ट्रपति को गणतंत्र दिवस समारोह के मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया है. 2015 के बाद से यह उनकी तीसरी भारत यात्रा है.
सिसी ने इससे पहले अक्टूबर 2015 में तीसरे भारत अफ्रीका फोरम शिखर सम्मेलन में भाग लेने और सितंबर 2016 में राजकीय यात्रा पर भारत का दौरा किया था. अब्देल फतेह अल-सीसी ऐसे समय में भारत की यात्रा कर रहे हैं, जबकि मिस्र आर्थिक संकट से गुजर रहा है. हैरत इस बात की भी है कि अरब के कई देश मिस्र की मदद नहीं कर रहे. रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर भारत ने जब हाल ही में गेहूं के निर्यात पर रोक लगाई थी, तब भी मिस्र को कई टन गेहूं भेजे गए थे.
आइए, जानते हैं भारत के गेस्ट बनकर आ रहे अब्देल फतह अल सीसी के बारे में:
मिस्र में सीसी को बेहद असरदार नेता माना जाता है, जिन्होंने देश की राजनीतिक उथल-पुथल को स्थिर किया. राष्ट्रपति का पद संभालने से पहले सीसी मिस्र के सेना प्रमुख थे. सीसी ने जुलाई 2013 में तत्कालीन राष्ट्रपति मोहम्मद मोर्सी को सत्ता से बेदखल कर दिया था. इसके एक साल बाद चुनाव हुए और वे खुद मिस्र के राष्ट्रपति बन बैठे. काहिरा के गमलेया इलाके में 1954 में जन्मे सीसी का परिवार इस्लाम में यकीन रखने वाला एक मजहबी परिवार था. परिवार का खर्च सिर्फ पिता की कमाई पर ही चलता था, जो कि फर्नीचर का काम करते थे. सीसी पढ़ाई-लिखाई में बेहद अच्छे थे और शुरू से ही उनका रुझान सेना की तरफ था.
#WATCH | Egyptian President Abdel Fattah El –Sisi arrives in Delhi. He will attend the #RepublicDayParade as the Chief Guest.
During his visit, he will also meet President Droupadi Murmu, Prime Minister Narendra Modi and EAM Dr S Jaishankar. pic.twitter.com/hH1q4eHHga
— ANI (@ANI) January 24, 2023
मिस्र की सैन्य अकादमी से 1977 में स्नातक करने के बाद सीसी पैदल सेना में शामिल हो गए. इसी समय उन्होंने एक स्पेशल डिवीजन के कमान की अगुवाई भी की. बेहद तेज दिमाग वाले सीसी समय के साथ सेना के बड़े ओहदों तक पहुंचने लगे. वह सऊदी अरब में राजनयिक सैन्य चीफ-ऑफ-स्टाफ बने और फिर मिस्र के नॉर्थ मिलिट्री जोन के कमांडर की कमान संभाली. सीसी आगे चलकर मिस्र की मिलिट्री इंटेलिजेंस का चीफ बने. सेना में एक-एक पायदान चढ़ते हुए भी सीसी ने अपनी पढ़ाई नहीं छोड़ी. ब्रिटेन के स्टाफ कॉलेज और फिर 2005 में पेन्सिलवेनिया के सैन्य कॉलेज से सीसी ने मास्टर्स की डिग्री हासिल की.
राजनीति में कैसे उभरे अब्देल फतह अल-सीसी
मिस्र में 2011 का वक्त राजनीतिक अस्थिरता का था, उसी समय सीसी उभरना शुरू हुए. ऐसे समय में ही मिस्र में अरब स्प्रिंग का आंदोलन शुरू हो गया. इसके बाद तत्कालीन राष्ट्रपति हुस्नी मुबारक के खिलाफ लोग सड़कों पर उतर गए और उन्हें सत्ता गंवानी पड़ी. फिर सेना ने ज्यादातर अधिकार अपने हाथों में ले लिए. मिस्र में उस वक्त मुस्लिम ब्रदरहुड का असर काफी था.
एक कट्टर मुसलमान माने जाने वाले जनरल सीसी को सेना ने मुस्लिम ब्रदरहुड से संपर्क रखने का जरिया बनाया. इसके बाद जून 2012 में मुस्लिम ब्रदरहुड के प्रमुख मुहम्मद मोर्सी ने मिस्र की बागडोर अपने हाथों में ली. गौरतलब है कि मुस्लिम ब्रदरहुड वास्तव में मिस्र में इस्लामिक आंदोलन को बढ़ावा देने वाला संगठन था जिसे अब बैन कर दिया गया है.
मिस्र में कैसे सेना ने किया तख्तापलट
मुस्लिम ब्रदरहुड की मदद से बने मुहम्मद मोर्सी की सरकार पर सेना ने कभी भरोसा नहीं किया. सीसी की आधी से ज्यादा जिंदगी सेना में गुजरी थी. कट्टर मुसलमान होने के बावजूद सीसी ने मुस्लिम ब्रदरहुड को कभी सम्मान के नजरिए से नहीं देखा. 2013 में मुस्लिम ब्रदरहुड की सरकार के खिलाफ देश में फिर से प्रदर्शन शुरू हो गया. लोग सरकार के खिलाफ सड़कों पर उतर आए. शरिया शासन और आर्थिक तंगी के खिलाफ मिस्र की जनता मोर्सी से इस्तीफा मांगने लगी. राष्ट्रपति मोर्सी का विरोध इतना बढ़ गया कि सेना प्रमुख ने चेतावनी दे डाली कि अगर सरकार लोगों की उम्मीदों को पूरा नहीं करती, तो सेना दखल देगी. कुछ ही दिनों बाद 3 जुलाई को एक टेलीविजन संबोधन में जनरल सीसी ने ऐलान किया कि राष्ट्रपति मोर्सी को उनके पद से हटाने के साथ ही संविधान को सस्पेंड कर दिया गया है.
मिस्र के राष्ट्रपति चुनाव में उतरे जनरल सीसी
जनरल सीसी को जनवरी 2014 में मिस्र की सेना का सर्वोच्च पद फील्ड मार्शल से नवाजा गया. अगले दो माह में ही उन्होंने पद से इस्तीफा दे दिया और राष्ट्रपति चुनाव में कूद गए. चुनाव में सीसी ने प्रचंड बहुमत हासिल किया. 97 फीसद मतों के साथ वे मिस्र के राष्ट्रपति चुने गए.
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