नई दिल्ली. दुनिया में कोरोना वायरस (Coronavirus) से निपटने के लिए दवा या वैक्सीन (Covid 19 Vaccine) खोजने का काम युद्धस्तर पर चल रहा है. इसी क्रम में पिछले हफ्ते अमेरिका की कंपनी मॉडर्न थेराप्यूटिक्स (Moderna therapeutics) ने एक वैक्सीन का ट्रायल कोरोना वायरस (Covid 19) से संक्रमित महिला पर किया है. अब इस वैक्सीन के इंसानों पर परीक्षण के परिणाम आने में करीब 1 साल लग जाएगा. लेकिन इस बीच एक राहत की बात यह है कि जैसे ही इस वैक्सीन के इंसानी परीक्षण का पहला चरण पूरा होगा और अगर यह पॉजिटिव पाया गया तो कंपनी इस वैक्सीन के डोज युद्धस्तर पर बनाने की तैयारी कर लेगी. इसका मतलब यह है कि दुनियाभर में मरीजों को तुरंत ये वैक्सीन उपलब्ध कराने की कोशिश अभी से है.
इस तरह से किया जाएगा टेस्ट
टाइम डॉट कॉम में प्रकाशित खबर के मुताबिक, मॉडर्न थेराप्यूटिक्स के द्वारा तैयार वैक्सीन के परीक्षण के पहले चरण से पता चलता है कि यह सुरक्षित है तो कंपनी इसके बड़े स्तर पर उत्पादन के लिए पूरी तरह से तैयार है. वैक्सीन का अध्ययन सबसे पहले उन 45 स्वस्थ लोगों के समूह पर किया जाएगा, जो कोरोना वायरस से संक्रमित नहीं हैं.
तीन अलग-अलग डोज का होगा परीक्षण
इस समूह में वैज्ञानिक यह देखना चाह रहे हैं कि क्या इसके डोज सुरक्षित हैं. वे तीन अलग-अलग डोज का परीक्षण करके ये देखेंगे कि कौन सा डोज शरीर के इम्यून सिस्टम को तेजी से सक्रिय करता है. अगर ये शुरुआती तौर पर कोई साइड इफेक्ट विकसित नहीं करते हैं, तो शोधकर्ता उन परिणामों की पुष्टि करने के लिए सैकड़ों और स्वस्थ लोगों पर इसके कंफर्मेशन के लिए परीक्षण करेंगे.
तैयारी अभी से शुरू
मॉडर्न थेराप्यूटिक्स ने अमेरिका के नेशनल इंस्टीट्यूट्स ऑफ हेल्थ में टेस्ट की हुई वैक्सीन का भेजना शुरू कर दिया है. इसके बाद यह वैक्सीन अमेरिका के विभिन्न सेंटरों में भी जांची जाएगी. कंपनी के प्रेसीडेंट स्टीफन होग के अनुसार पहले से ही इस वैक्सीन की लाखों डोज का उत्पादन शुरू किया जा चुका है.
अगर वैक्सीन न केवल सुरक्षित, बल्कि सफल भी होती है, तो कंपनी वैक्सीन को बहुत जल्द बड़े स्तर पर बनाने का काम शुरू कर देगी. इस विशेष टीके को बनाने के लिए उपयोग की जाने वाली गैर-पारंपरिक तकनीक द्वारा यह संभव है.
ये है तकनीक
कंपनी ने अपने टीके में वायरस के जीनोम के आनुवांशिक रूप mRNA का उपयोग किया है. जब इसे लोगों में इंजेक्ट किया जाता है, तो कोशिकाएं इसे संसाधित करती हैं ताकि प्रतिरक्षा कोशिकाएं इसे पहचान सकें और इसे काम के लिए टारगेट कर सकें. अधिकांश पारंपरिक टीकों को बनाने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली प्रक्रियाओं के उलट इस विधि में बड़ी मात्रा में वायरस की आवश्यकता नहीं होती है, जो कम समय लेने वाली होती है.
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Tags: Corona, Corona Virus
FIRST PUBLISHED : March 23, 2020, 23:09 IST