रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन मॉस्को में मार्शल लॉ लगा सकते हैं. (फाइल फोटो)
मॉस्को. ऐसी खबरें हैं कि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन मॉस्को सहित प्रमुख शहरों में मार्शल लॉ लगाने जा रहे हैं. वहीं, पुतिन करीब 20 लाख लोगों को सेना में भर्ती करने जा रहे हैं ताकि यूक्रेन युद्ध में रूस के खत्म हो रहे प्रभुत्व को फिर स्थापित कर सके. इसमें करीब 3 लाख महिलाओं की भर्ती होगी. हालांकि पुतिन के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने शुक्रवार को ऐसी किसी भी आसन्न घोषणा से इनकार कर दिया है लेकिन रूसी राष्ट्रपति ने सैन्य भर्ती की पहली लहर को खत्म करने के लिए जरूरी डिक्री पर हस्ताक्षर नहीं किए है, जिससे खबरों को हवा मिल रही है.
डेली मेल के अनुसार, प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने कहा है कि पुतिन के उस संबोधन जिसमें वे बड़ी घोषणाएं करेंगे, वह सच नहीं है. दूसरी तरफ यूक्रेन के राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की ने मॉस्को को फिर चेतावनी दी है. ज़ेलेंस्की ने कहा है कि युद्ध के स्थायी समाधान के लिए रूस सभी कब्जे वाले क्षेत्रों से अपने सैनिक वापस ले. हाल के महीनों में पुतिन की हेल्थ के बिगड़ने की खबरें सामने आईं थीं ओर अब ऐसी अफवाह भी है कि वे राष्ट्रपति पद को छोड़ अपनी सत्ता किसी को सौंपने जा रहे हैं.
लामबंदी के बाद मार्शल लॉ
जनरल एसवीआर टेलीग्राम चैनल ने कथित तौर पर कहा है कि करीब 20 लाख लोगों की भर्ती करने जा रहे हैं, इसमें 3 लाख महिलाएं होंगी. मॉस्को के प्रतिष्ठित इंस्टीट्यूट ऑफ इंटरनेशनल रिलेशंस के पूर्व प्रोफेसर, पुतिन-वॉचर वेलेरी सोलोवी ने कहा कि इसके अलावा, मार्शल लॉ की शुरुआत के साथ ही लामबंदी करने की योजना बनाई गई है. ये मार्शल लॉ को या तो पूरे रूस में या रूस की राजधानियों- मास्को और सेंट पीटर्सबर्ग सहित इसके क्षेत्र के एक महत्वपूर्ण हिस्से तक विस्तारित करना है.
पुतिन की जगह कौन लेगा?
ऐसी अफवाह है कि सर्गेई किरियेंको को पुतिन की जगह मिल सकती है. अभी सर्गेई किरियेंको रूसी राष्ट्रपति के अधिनायकवादी डिप्टी चीफ ऑफ स्टाफ हैं. वे पूर्व पीएम भी हैं. इसके अलावा कृषि मंत्री दिमित्री पेत्रुशेव का नाम भी सामने आया है. वे पुतिन के कट्टर सुरक्षा प्रमुख निकोले पेत्रुशेव के बेटे हैं.
मार्शल लॉ क्या होता है?
मार्शल लॉ जिस भी देश या क्षेत्र में लगाया जाता है, वहां की शासन व्यवस्था आम जनता या सरकार के बजाए सेना के हाथों में आ जाती है. इसी वजह से इसे सैनिक कानून या फिर आर्मी एक्ट भी कहा जाता है. इस कानून के लागू होते ही देश या क्षेत्र से नागरिक कानून हट जाता है और सेना का नियंत्रण शुरू हो जाता है. इस दौरान सेना के पास कई अधिकार होते हैं. सेना को कोई भी कदम उठाने के लिए नागरिकों, सरकार या फिर मंत्रियों की इजाजत नहीं लेनी पड़ती. लोगों से उनके नागरिक अधिकार ले लिए जाते हैं.
जो कोई भी मार्शल लॉ के खिलाफ बोलता है, या इसके खिलाफ लोगों को भड़काता है, उसे तुरंत गिरफ्तार कर लिया जाता है. सेना कितने भी वक्त तक किसी को हिरासत में रख सकती है. मार्शल लॉ के दौरान सेना ही किसी न्याय का फैसला करती है.
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