वहीं, अमेरिकी न्यूज वेबसाइट के मुताबिक रूस खार्किव शहर को यूक्रेन से अलग करना चाहता है. खार्किव शहर का 30 फीसदी हिस्सा रूस के कब्जे में पहले ही आ चुका है. कुछ दिन पहले ही खार्किव में यूक्रेन से अलग एक नया पब्लिक एडमिनिस्ट्रेटिव सिस्टम बनाया गया है. इन इलाकों में खार्किव का अलग झंडा भी फहराया जाता है.
यूक्रेन का 22 फीसदी इलाका रूस के कंट्रोल में है. यह जानकारी यूक्रेन के राष्ट्रपति वोल्दोमीर जेलेंस्की ने यूक्रेन की संसद में दी. 24 फरवरी से अब तक, यूक्रेन के ज्यादातर पूर्वी और दक्षिण इलाकों पर रूस का कब्जा है. इन इलाकों में लुहांस्क, डोनेट्स्क, खेरसॉन, मारियुपोल जैसे बड़े शहर शामिल हैं.
रूस अपने कब्जे वाले यूक्रेन के दक्षिणी इलाकों के स्कूलों को फिर से खोल रहा है. इनमें रूस समर्थक कोर्स शुरू किया गया है. खेरसॉन और जापोरिज्ज्या जैसे क्षेत्रों में रहने वाले माता-पिता को धमकी दी जा रही है कि अगर वे रूसी पासपोर्ट नहीं लेते और अपने बच्चों को वे रूस समर्थक स्कूलों में नहीं भेजते हैं, तो उनके पेरेंट संबंधी अधिकार छीन लिए जाएंगे.
पेरेंट्स और टीचर्स का कहना है कि आने वाले शैक्षणिक वर्ष में इन स्कूलों के साथ सहयोग करने के लिए उन्हें ब्लैकमेल किया जा रहा है. रूस के कब्जे वाले इलाकों में यूक्रेनी इंटरनेट और सेलुलर-सेवा प्रदाताओं और बाहरी मीडिया से काट दिया गया है.
रूसी सैनिक यूक्रेनी इतिहास की किताबों को जला रहे हैं. स्कूलों में बच्चों को यूक्रेन से नफरत करना सिखा रहे हैं. इतिहास के पाठों में बताया जा रहा है कि वर्तमान युद्ध शुरू करने के लिए यूक्रेन दोषी है.
रूस से गैस खरीदने के लिए जर्मनी को कनाडा से जो टर्बाइन वापस चाहिए था. उसको वापस करने की मंजूरी कनाडा ने दे दी है. जर्मनी और रूस के बीच, नॉर्ड सट्रीम 1 गैस पाइपलाइन शुरू होगी. इस पाइपलाइन के लिए यह टर्बाइन जरूरी है. इस सौदे की वजह से जर्मनी और यूक्रेन के संबंध खराब हो रहे है.
लुहांस्क के गवर्नर सेरहिय हैदई ने कहा, रूसी फौजों के कारण दोनबास में स्थिति नारकीय है. लिसिचांस्क पर कब्जे के बाद कुछ विश्लेषकों का अनुमान था कि रूसी फौजें कुछ रुककर दोबारा एकत्रित होंगी. इसके बावजूद उनकी ओर से ऐसी कोई घोषणा नहीं हुई.
यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की के मुताबिक, युद्ध के कारण यूक्रेन के भीतर 2.2 करोड़ टन अनाज फंसा है. गेहूं, मक्का और सूरजमुखी तेल निर्यात के कारण यूरोप की ब्रेड बास्केट कहलाने वाले यूक्रेन में इन दिनों भारी संकट है.
यूक्रेनी अनाज एसोसिएशन के मुताबिक, रूसी हमले से पहले हर माह 60-70 लाख टन अनाज निर्यात होता था, जो जून में केवल 22 लाख टन रहा. इसके निर्यात का 30 फीसदी यूरोप, 30 फीसदी उत्तरी अफ्रीका और 40 फीसदी एशिया जाता था.
काला सागर में स्थित बंदरगाहों का रास्ता रूस ने रोक लिया है. संयुक्त राष्ट्र के खाद्य एवं कृषि संगठन के मुताबिक, युद्ध के कारण विकसित देशों में भी खाद्यान्न आपूर्ति प्रभावित होगी. 18 करोड़ से ज्यादा लोगों के सामने भुखमरी का संकट होगा.
उधर, फसल न बिकने के कारण यूक्रेन के किसान दिवालिया हो सकते हैं. तुर्की के राष्ट्रपति रैसिप तैयब अर्दोगान का कहना है, वह संयुक्त राष्ट्र, यूक्रेन और रूस के बीच काला सागर से अनाज के सुरक्षित निर्यात का रास्ता निकालने में लगे हैं.
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FIRST PUBLISHED : July 11, 2022, 11:18 IST