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क्या भारत बनेगा शांति दूत? इसी सप्ताह दिल्ली पहुंच रहे रूसी विदेश मंत्री और इजरायली PM

लावरोव इसी हफ्ते दिल्ली आएंगे, लेकिन दिन तय नहीं है.

लावरोव इसी हफ्ते दिल्ली आएंगे, लेकिन दिन तय नहीं है.

India Stands on Russia-Ukraine War: भारत के रिश्ते रूस से अच्छे हैं. इसी तरह यूक्रेन के पीछे खड़े अमेरिका से भी भारत की ...अधिक पढ़ें

नई दिल्ली. रूस और यूक्रेन के बीच जंग (Russia-Ukraine War) जारी है. ऐसे में भारत की भूमिका बेहद खास रहने वाली है. युद्ध को विराम देने की कोशिश में भारत एक बार फिर शांति दूत बनकर उभर सकता है. रूस के विदेश मंत्री सेर्गेई लावरोव (Russia’s Foreign Minister Sergey Lavrov) का अचानक भारत दौरा इसी दिशा में अहम कदम है. लावरोव इसी हफ्ते दिल्ली आएंगे, लेकिन दिन तय नहीं है. वहीं, इजरायल के प्रधानमंत्री नफ्ताली बेनेट (Naftali Bennett) 2 अप्रैल को भारत पहुंच रहे हैं.

मॉस्को द्वारा 24 फरवरी को यूक्रेन के खिलाफ सैन्य आक्रमण शुरू किये जाने के बाद से यह रूस की ओर से भारत की सर्वोच्च स्तरीय यात्रा होगी. विदेश मंत्रालय या रूसी विदेश मंत्रालय की ओर से प्रस्तावित यात्रा पर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है.

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पिछले कुछ हफ्तों में चीन के विदेश मंत्री वांग यी, अमेरिका के राजनीतिक मामलों की अवर विदेश मंत्री विक्टोरिया नुलैंड और ऑस्ट्रिया और यूनान के विदेश मंत्रियों सहित भारत की कई उच्च स्तरीय यात्राएं हुई हैं. ब्रिटिश विदेश सचिव लिज़ ट्रस गुरुवार को भारत दौरे पर आने वाली हैं.

इन मुद्दों पर बात करने की संभावना
लावरोव की प्रस्तावित यात्रा के बारे में ऊपर उद्धृत लोगों ने कहा कि इस दौरान मुख्य ध्यान रूसी कच्चे तेल और सैन्य उपकरण की भारत द्वारा खरीद के लिए भुगतान प्रणाली पर होने की संभावना है. रूस पर पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों ने उस देश को भुगतान करने में कठिनाइयां उत्पन्न की हैं. पता चला है कि दोनों पक्ष रुपये-रूबल भुगतान प्रणाली को सक्रिय करने पर विचार कर रहे हैं.

कई अन्य प्रमुख शक्तियों के विपरीत, भारत ने अभी तक यूक्रेन पर आक्रमण के लिए रूस की आलोचना नहीं की है और उसने रूसी आक्रमण की निंदा करने वाले प्रस्तावों पर संयुक्त राष्ट्र के मंचों पर मतदान से परहेज किया है.

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बता दें कि यूक्रेन में युद्ध खत्म कराने को लेकर भारत पहले से ही कोशिशें कर रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले एक महीने में पुतिन और जेलेंस्की के साथ फोन पर दो बार लंबी बातचीत की है. भारत के रिश्ते रूस से अच्छे हैं. इसी तरह यूक्रेन के पीछे खड़े अमेरिका से भी भारत की नजदीकियां हैं. मौजूदा वैश्विक परिस्थितियों में रूस और अमेरिका दोनों को ही भारत की जरूरत है, इसलिए विवाद सुलझाने में भारत की भूमिका अहम हो जाती है.

Tags: Naftali Bennett, Russia ukraine war, Vladimir Putin

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