होम /न्यूज /दुनिया /अंतरिक्ष में रॉकेट भेजने से पहले क्यों करना पड़ता है 'लॉन्च विंडो' का वेट? आर्टेमिस-1 मून मिशन को और कितना करना होगा इंतजार, जानें सबकुछ

अंतरिक्ष में रॉकेट भेजने से पहले क्यों करना पड़ता है 'लॉन्च विंडो' का वेट? आर्टेमिस-1 मून मिशन को और कितना करना होगा इंतजार, जानें सबकुछ

आर्टेमिस-1 लॉन्च को केवल अगली उपलब्ध लॉन्च विंडो तक के लिए स्थगित कर दिया गया है. (फाइल फोटो)

आर्टेमिस-1 लॉन्च को केवल अगली उपलब्ध लॉन्च विंडो तक के लिए स्थगित कर दिया गया है. (फाइल फोटो)

Space Science: इस सप्ताह की शुरुआत में, आर्टेमिस-1 मून मिशन का प्रक्षेपण टाल दिया गया. अब हमें एक नई लॉन्च विंडो का इंत ...अधिक पढ़ें

हाइलाइट्स

लॉन्च विंडो सितारों को श्रेणी में या एक खास स्थान पर आने की प्रतीक्षा करने जैसा है.
रॉकेट की लॉन्चिंग पूरी तरह से समय पर होनी चाहिए.
अंतरिक्ष में भेजे जाने वाले रॉकेट के उड़ान की दिशा धरती और चंद्रमा दोनों के गुरुत्वाकर्षण पर निर्भर करता है.

(द कन्वरसेशन)

मेलबर्न. इस सप्ताह की शुरुआत में आर्टेमिस-1 मून मिशन का प्रक्षेपण टाल दिया गया. अब हमें एक नई लॉन्च विंडो का इंतजार करना होगा. तीन सितंबर को फ्लोरिडा के कैनेडी स्पेस सेंटर से स्पेस लॉन्च सिस्टम रॉकेट के उड़ान भरने के ठीक 40 मिनट पहले फ्यूल लीक होने के कारण इंजीनियरों को लॉन्च टालना पड़ा. तो आखिर लॉन्च विंडो क्या बला है. और रॉकेट को किसी भी समय अंतरिक्ष में क्यों नहीं भेजा जा सकता है? और इसे ‘टालने’’ का क्या अर्थ है? आइए इन सभी सवालों के जवाब टटोलने की कोशिश करते हैं.

एक लॉन्च विंडो सितारों को श्रेणी में या एक खास स्थान पर आने की प्रतीक्षा करने जैसा है. जब सितारे इस स्थिति में होते हैं तभी रॉकेट को पृथ्वी की सतह से लॉन्च किया जाता है. रॉकेट की लॉन्चिंग पूरी तरह से समय पर होनी चाहिए ताकि रॉकेट अपने निर्धारित मार्ग पर ठीक से आगे बढ़े. और सही समय पर सही स्थान की ओर जाए.

आर्टेमिस-1 चंद्रमा के चारों ओर कक्षा में ओरियन कैप्सूल भेजने का एक मिशन है और इसके लिए ‘सही समय’ का अर्थ है कि चंद्रमा अपने 28-दिवसीय चक्र के दौरान पृथ्वी के यथासंभव करीब हो (जिसे ‘पेरिगी’ के रूप में जाना जाता है). इसलिए अब हमें चंद्रमा के वापस उस स्थिति में लौटने के लिए लगभग चार सप्ताह का इंतजार करना होगा.

अंतरिक्ष में भेजे जाने वाले किसी भी रॉकेट के उड़ान की दिशा धरती और चंद्रमा दोनों के गुरुत्वाकर्षण पर निर्भर करता है. चूंकि वैज्ञानिक चाहते हैं कि ओरियन कैप्सूल धरती पर सुरक्षित वापस आए इसलिए इसका समय महत्वपूर्ण होता है. ओरियन को चंद्रमा से टकराना नहीं चाहिए बल्कि उसके पास से सुरक्षित गुजरना चाहिए. इसलिए रॉकेट लॉन्चर, पृथ्वी, चंद्रमा और लूनार कैप्सूल की स्थिति को हर समय सटीक रूप से जानना जरूरी होता है.

जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप के लॉन्च के समय भी ऐसी ही कहानी थी. इस मामले में मिशन कंट्रोलर यह सुनिश्चित कर रहे थे कि यह पृथ्वी और सूर्य के बीच गुरुत्वाकर्षण रूप से संतुलित स्थान – लैग्रेंज पॉइंट 2 के रास्ते में चंद्रमा से नहीं टकराए. खराब मौसम से बचने के लिए टेलीस्कोप के प्रक्षेपण को दो बार बदला गया. अंततः साल 2021 में क्रिसमस के दिन फ्रेंच गुयाना से एरियन 5 रॉकेट पर लॉन्च हुआ.

यह तय है कि आर्टेमिस-1 मिशन लॉन्च होगा, लेकिन इसे एक अलग समय के लिए पुनर्निर्धारित किया जाएगा. यह उन सभी के लिए अच्छी खबर है जो 50 साल में पहली बार मून मिशन को फिर से पूरा होते हुए देखने का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं. आर्टेमिस-1 लॉन्च को केवल अगली उपलब्ध लॉन्च विंडो तक के लिए स्थगित कर दिया गया है.

Tags: Nasa, Space Science

टॉप स्टोरीज
अधिक पढ़ें