संयुक्त राष्ट्र (United Nations) के जरिए दूसरे देश भी प्रतिबंध लगा सकते हैं. (तस्वीर: shutterstock)
नई दिल्ली. यूक्रेन में युद्ध छेड़ने के रूस (Russia Ukraine War) के कदम के बार संयुक्त राष्ट्र आमसभा में रूस के खिलाफ प्रस्ताव पारित किया गया है. संयुक्त राष्ट्र आमसभा (UN General Assembly) की विशेष इमरजेंसी बैठक के बाद ये प्रस्ताव पारित किया गया. संयुक्त राष्ट्र के इस कदम का 141 देशों ने किया समर्थन जबकि 5 देशों ने विरोध में वोट डाला. वहीं 35 देशों में वोटिंग में हिस्सा नहीं लिया. भारत ने भी वोटिंग में हिस्सा नहीं लिया.
यूक्रेन में रूसी हमले को तत्काल रोकने और सभी रूसी बलों की वापसी की मांग संबंधी प्रस्ताव पर 193 सदस्यीय संयुक्त राष्ट्र महासभा में बुधवार को दोपहर में मतदान किया गया. यूरोप के आर्थिक रूप से समृद्ध देशों से लेकर छोटे प्रशांत द्वीप देश तक कई देशों ने यूक्रेन पर रूस के हमले की निंदा की है.
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ये देश माने जाते हैं रूस के समर्थक
संयुक्त राष्ट्र महासभा के आपातकालीन सत्र में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के कुछ समर्थक भी हैं, जिनमें क्यूबा और उत्तर कोरिया शामिल हैं. इसके अलावा सूरीनाम और दक्षिण अफ्रीका जैसे कुछ देशों ने मसौदा प्रस्ताव पर कोई रुख नहीं अपनाया है और संकट के स्थायी समाधान के लिए समझौते एवं कूटनीति का मार्ग अपनाने की अपील की है.
सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों के विपरीत, महासभा के प्रस्ताव का पालन करना कानूनी रूप से बाध्यकारी नहीं है, लेकिन इससे अंतरराष्ट्रीय रुख का पता चलता है.
मंगलवार रात तक प्रस्ताव के 94 सह प्रायोजक थे. इनमें अफगानिस्तान और म्यांमा जैसे कई देशों का शामिल होना संयुक्त राष्ट्र के राजनयिकों के लिए हैरानी की बात है.
इससे पहले बुधवार को संयुक्त राष्ट्र महासभा के बुलाए गए दुलर्भ आपात सत्र में उस प्रस्ताव का कई देशों के राजदूतों ने समर्थन किया है जिसमें रूस से यूक्रेन के साथ युद्ध को रोकने की मांग की गई है.
1997 के बाद पहली बार बुलाया गया है आपात सत्र
वर्ष 1997 के बाद पहली बार बुलाए गए महासभा के आपात सत्र में यूक्रेन के राजदूत सर्गेई किस्लित्स्या ने कहा, ‘‘अगर यूक्रेन नहीं रहा…. तो अंतरराष्ट्रीय शांति भी नहीं रहेगी.’’
उन्होंने कहा, ‘‘इसमें कोई भ्रम नहीं है, अगर यूक्रेन नहीं रहा तो हमें आश्चर्य नहीं होगा अगर अगली बार लोकतंत्र असफल होता है.’’
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