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जर्मनी में पिज्जा डिलीवरी कर रहे अफगानिस्तान के पूर्व मंत्री, तालिबान के डर से छोड़ना पड़ा था देश

सैयद अहमद शाह सद्दत 2020 दिसंबर में ही काबुल छोड़कर जर्मनी भाग आए थे. (AP)

सैयद अहमद शाह सद्दत 2020 दिसंबर में ही काबुल छोड़कर जर्मनी भाग आए थे. (AP)

अफगानिस्तान (Afghanistan) पर तालिबान (Taliban) के कब्जे के बाद पूर्व राष्ट्रपति सहित कई बड़े नेता अफगानिस्तान छोड़कर अल ...अधिक पढ़ें

    काबुल/बर्लिन. अफगानिस्तान पर तालिबान (Taliban) के कब्जे के बाद राष्ट्रपति अशरफ गनी समेत तमाम राजनेता और मंत्री देश छोड़कर भाग गए हैं. इनमें से कई लोग अब आम लोगों की तरह जिंदगी जीने को मजबूर हैं. अफगानिस्तान (Afghanistan) के पूर्व संचार मंत्री की एक ऐसी तस्वीर सामने आयी है, जिस पर यकीन करना मुश्किल है. पूर्व मंत्री सैयद अहमद शाह सादत (Sayed Ahmad Shah Sadat) ने जर्मनी के लिपजिग शहर में शरण ली है, सैयद अहमद यहां पिछले 2 महीने से पिज्जा डिलीवरी बॉय का काम कर रहे है.

    तस्वीर देखकर यकीन करना मुश्किल है कि चारों और सुरक्षाकर्मियों के सख्त पहरे के बीच सूट बूट में रहने वाले सैयद अहमद शाह सादत आज पिज्जा डिलीवरी करने को मजबूर हैं.

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    सैयद अहमद शाह ने जर्मनी के लिपजिग शहर में शरण ली है और फिलहाल पिज्जा डिलीवरी बॉय का काम कर रहे है.

    न्यूज एजेंसी रॉयटर्स की जानकारी के मुताबिक, सैयद अहमद शाह सादत 2020 दिसंबर में ही काबुल छोड़कर जर्मनी भाग आए थे. सद्दत बेहद पढ़े लिखे भी हैं, उन्होंने ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से कम्युनिकेशन में MScs किया है. साथ ही वो इलेक्ट्रिकल इंजीनियर भी हैं.

    सैयद अहमद शाह ने दुनियाभर के 13 बड़े शहरों में  23 साल अलग-अलग तरह का काम किया है. लेकिन शायद देश छूटा तो किस्मत ने भी साथ छोड़ दिया. इतना पढ़ लिखकर भी वो घर-घर पिज्जा पहुंचाने के लिए मजबूर हैं.

    सैयद अहमद शाह ने एक न्यूज एजेंसी से बात करते हुए कहा कि शुरुआती दिनों में मुझे इस शहर में रहने के लिए कोई काम नहीं मिल रहा था, क्योंकि मुझे जर्मन भाषा नहीं आती है. पिज्जा डिलीवरी का काम फिलहाल मै सिर्फ जर्मन भाषा सीखने के लिए कर रहा हूं. इस नौकरी के जरिए मैं शहर के अलग-अलग हिस्से में घूमकर लोगों से मिल रहा हूं, ताकि आने वाले दिनों में खुद को निखारकर दूसरी नौकरी पा सकूं.

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    बता दें कि तालिबान के कब्जे के बाद से अफगानिस्तान में बैंकिंग और स्वास्थ्य सेवाएं बदहाल हैं. एटीएम खाली हैं. खाने-पीने, दवाई से लेकर हर जरूरी सामान की कीमतें तीन गुना तक बढ़ गई हैं. बड़ी संख्या में महिला नर्स काम पर नहीं लौटी हैं. WHO ने कहा है कि काबुल एयरपोर्ट पर लगे प्रतिबंध के कारण 500 टन से ज्यादा मेडिकल सप्लाई अफगानिस्तान नहीं पहुंच पा रही है.

    Tags: Afghanistan, Afghanistan Taliban conflict

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