विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि यूक्रेन मसले से जुड़े देशों में मतभेद होने के कारण कोई भी निर्णय नहीं लिया जा सका. (File Photo)
नई दिल्ली. जी-20 के विदेश मंत्रियों (Foreign Ministers) की बृहस्पतिवार को हुई बैठक में यूक्रेन संघर्ष (Ukraine Crisis) को लेकर मतभेदों के कारण संयुक्त वक्तव्य (Joint Statement) जारी नहीं किया जा सका जबकि मेजबान देश भारत ने आम-सहमति बनाने के लिए लगातार प्रयास किये. भारत की अध्यक्षता में हुई बैठक में अध्यक्षता सारांश और परिणाम दस्तावेज स्वीकार किये गए हैं. विदेश मंत्री एस जयशंकर (S Jaishankar) ने एक संवाददाता सम्मेलन में न्यूज़ 18 के सवाल के जवाब में कहा कि यूक्रेन संघर्ष से जुड़े मुद्दे पर आम सहमति नहीं बन सकी है. उन्होंने कहा कि यूक्रेन मसले से जुड़े देशों में मतभेद होने के कारण कोई भी निर्णय नहीं लिया जा सका.
वहीं कई राजनयिकों ने कहा कि यूक्रेन संघर्ष को लेकर पश्चिमी जगत (Western World) और रूस-चीन (Russia China) के बीच गहरा विभाजन देखा गया. जयशंकर ने कहा कि इस मुद्दे पर विचार दो ध्रुवों में बंटे हुए थे. उन्होंने कहा कि विदेश मंत्रियों की बैठक में यूक्रेन संघर्ष पर अलग-अलग धारणाएं सामने आईं. उन्होंने कहा कि इस बाबत दो पैराग्राफ पर सहमति नहीं बन सकी. विदेश मंत्री ने आगे कहा कि जी-20 का परिणाम दस्तावेज मौजूदा वैश्विक चुनौतियों से निपटने के जी-20 के संकल्प को प्रदर्शित करता है.
साथ ही उन्होंने बताया कि बैठक में आतंकवाद की स्पष्ट रूप से निंदा की गयी. जयशंकर ने कहा कि हमारा प्रयास है कि ‘ग्लोबल साउथ’ (Global South) की आवाज सुनी जाए. वहीं जी20 की बैठक में रूस द्वारा पश्चिम पर अन्य देशों के खिलाफ “ब्लैकमेल और धमकियों” का आरोप लगाया गया है. आपको बता दें कि भारत चाहता था कि इस साल G20 में गरीबी उन्मूलन और जलवायु वित्त जैसे मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया जाए, लेकिन यूक्रेन के साथ रूस के युद्ध ने अब तक अन्य मुद्दों पर सार्थक चर्चा नहीं होने दी है.
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