नेपाल के संसदीय चुनाव में किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिली. (फोटो- Reuters)
काठमांडू. नेपाल के संसदीय चुनाव में किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिलने के कारण त्रिशंकु संसद के आसार बन रहे हैं हालांकि सत्तारूढ़ नेपाली कांग्रेस के नेतृत्व वाले पांच दलों के गठबंधन को प्रतिनिधि सभा में सबसे ज्यादा सीटें मिलने की संभावना है. नेपाली कांग्रेस, सीपीएन-माओवादी, सीपीएन-यूनिफाइड सोशलिस्ट, लोकतांत्रिक समाजवादी पार्टी और राष्ट्रीय जनमोर्चा के सत्तारूढ़ गठबंधन ने अब तक सीधे चुनाव में 85 सीटें जीती हैं. विपक्षी सीपीएन-यूएमएल गठबंधन को 56 सीटें मिली हैं.
प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा नीत नेपाली कांग्रेस ने 20 नवंबर को हुए आम चुनाव में 53 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी के रूप में अपनी बढ़त बनाए रखी. नेपाली कांग्रेस की सहयोगी पार्टी सीपीएन-माओवादी ने 17 सीटें जीती हैं. जबकि सीपीएन-यूनिफाइड सोशलिस्ट को 10 सीटें मिली हैं. वहीं लोकतांत्रिक समाजवादी पार्टी को चार एवं राष्ट्रीय जनमोर्चा को एक सीट मिली है.
उधर, सीपीएन-यूएमएल को 42 सीटें मिली हैं जबकि उसकी सहयोगी राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी और जनता समाजवादी पार्टी को 7-7 सीटें मिली हैं. उल्लेखनीय है कि 275 सदस्यीय संसद में बहुमत के लिए किसी पार्टी को कम से कम 138 सीटों की आवश्यकता होती है. राजनीतिक पर्यवेक्षकों के अनुसार, किसी एक गठबंधन को स्पष्ट बहुमत नहीं मिलने की स्थिति में नेपाल में राजनीतिक अस्थिरता बनी रह सकती है.
संसद के 275 सदस्यों में से 165 प्रत्यक्ष मतदान के जरिए चुने जाएंगे, जबकि शेष 110 सदस्य आनुपातिक चुनाव प्रणाली के माध्यम से चुने जाएंगे. नेपाल के संसदीय चुनावों में मंत्रियों और 60 मौजूदा सांसदों सहित विभिन्न राजनीतिक दलों के कई वरिष्ठ नेताओं को शिकस्त का सामना करना पड़ा है, जबकि युवाओं ने जीत दर्ज की है. प्रतिनिधि सभा (हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स) और सात प्रांतीय विधानसभाओं के लिए चुनाव इसी माह हुए थे.
मधेस (तराई) क्षेत्र आधारित दलों के दो वरिष्ठ नेता चुनाव हार गये, जिनमें जनता समाजवादी पार्टी के प्रमुख उपेंद्र यादव और लोकतांत्रिक समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता राजेंद्र महतो शामिल हैं. देश की दूसरी सबसे बड़ी पार्टी कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल (यूनिफाइड मार्क्सिस्ट-लेनिनिस्ट) :सीपएन-यूएमएल: से चुनाव हारने वालों में पार्टी के वरिष्ठ उपाध्यक्ष ईश्वर पोखरेल,उपाध्यक्ष सुरेंद्र पांडे, महासचिव शंकर पोखरेल और उप महासचिव प्रदीप गयावली शामिल हैं.
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