लामिछाने को पिछले साल 25 दिसंबर को उप प्रधानमंत्री और गृह मंत्री नियुक्त किया गया था. (Image: Twitter/hamrorabi)
काठमांडू. नेपाल के सुप्रीम कोर्ट ने एक बड़ा फैसला सुनाते हुए शुक्रवार को उप प्रधानमंत्री और गृह मंत्री रबी लामिछाने (Rabi Lamichhane) को उनके पद से अयोग्य घोषित कर दिया. न्यूज़ एजेंसी ANI की रिपोर्ट के मुताबिक उन्हें हालिया आम चुनाव लड़ने के लिए ‘अमान्य’ नागरिकता प्रमाण पत्र पेश करने का दोषी पाया गया था. शीर्ष अदालत के फैसले के बाद मंत्री ने अपना इस्तीफा प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल (Pushpa Kamal Dahal) उर्फ प्रचंड को सौंप दिया. यह फैसला कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश हरि कृष्ण कार्की की अध्यक्षता वाली नेपाल SC की संवैधानिक पीठ ने सुनाया. बेंच के अन्य जजों में जस्टिस बिश्वंभर प्रसाद श्रेष्ठ, ईश्वर खातीवाड़ा, आनंद मोहन भट्टराई और अनिल सिन्हा भी शामिल थे.
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने अपने आदेश में कहा कि रबी लामिछाने ने अपनी अमेरिकी नागरिकता त्यागने के बाद अपनी नेपाली नागरिकता पुनः प्राप्त करने की प्रक्रिया पूरी नहीं की है, इसलिए वह प्रतिनिधि सभा के सदस्य के पद के लिए उम्मीदवार नहीं हो सकते हैं या उस पद के लिए चुने नहीं जा सकते. अमेरिकी नागरिकता छोड़ने के बाद, लामिछाने को फिर से नेपाली नागरिकता (Nepal’s Citizenship) हासिल करने के लिए कानूनी प्रक्रिया का पालन नहीं करते पाया गया. इसलिए, वह प्रतिनिधि सभा के सदस्य के उम्मीदवार होने के लायक नहीं थे और न ही विधायक के पद पर आसीन हो सकते थे.
कोर्ट ने नेपाल के संविधान के अनुच्छेद 133 (बी और सी) और अनुच्छेद 137 के अनुसार आदेश जारी किया है, जिसमें लामिछाने की चुनाव से जुड़ी सभी गतिविधियों को रद्द किया गया है. फैसले के बाद, लामिछाने ने उप प्रधानमंत्री, गृह मंत्री और एक विधायक के साथ-साथ राष्ट्रीय स्वतंत्र पार्टी (RSP) के अध्यक्ष का पद भी खो दिया. लामिछाने को पिछले साल 25 दिसंबर को उप प्रधानमंत्री और गृह मंत्री नियुक्त किया गया था.
आपको बता दें कि नेपाल में वर्तमान में सीपीएन-यूएमएल, सीपीएन माओवादी केंद्र, आरएसपी (लामिछाने की पार्टी), जनता समाजवादी पार्टी और नागरिक उन्मुक्ति पार्टी सहित 5 दलों के गठबंधन का शासन है. लामिछाने की पार्टी ने पिछले साल नवंबर में हुए आम चुनाव में कुल 20 सीटें जीती थीं. उनके साथ अब एक विधायक के रूप में अयोग्य घोषित होने के बाद, नेपाली संसद में आरएसपी की संख्या अब घटकर 19 हो गई है. हालांकि, यह संसद में सीटों के मामले में चौथे स्थान पर बरकरार है.
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