बीजिंग. चीन (China) के एक जहाज पर रेडियोएक्टिव पदार्थ मिलने के बाद श्रीलंका ने उसे हंबनटोटा बंदरगाह (Hambantota Port) छोड़ने के लिए कहा है. श्रीलंका नाभिकीय ऊर्जा प्राधिकरण (एसएलएईए) के शीर्ष अधिकारी अनिल रणजीत ने कहा कि जहाज रोटरडम बंदरगाह से चीन जा रहा था, तभी उसमें तकनीकी खामियां आ गईं और वह हंबनटोटा बंदरगाह पर पहुंच गया. एसएलएईए ने कहा कि बंदरगाह पर लंगर डालने के समय पोत ने रेडियोएक्टिव पदार्थ लदे होने की जानकारी नहीं दी थी. यह जहाज चाइना मर्चेंट्स पोर्ट होल्डिंग कंपनी का है. रणजीत ने कहा कि यह वाणिज्यिक पोत था, जिस पर रेडियोएक्टिव पदार्थ ‘यूरेनियम हेक्साफ्लोराइड’ लदा हुआ था. उन्होंने कहा कि यह पदार्थ परमाण ऊर्जा संयंत्रों में ईंधन का काम करता है. यूरेनियम हेक्साफ्लोराइड को खतरनाक पदार्थ माना जाता है. इस पदार्थ को आमतौर पर एक देश से दूसरे देश में भेजा जाता है. लेकिन श्रीलंका के नियमों के अनुसार, इसके लिए पूर्व में अनुमति लेनी जरूरी होती है.
श्रीलंका परमाणु ऊर्जा बोर्ड के निदेशक टी. एम. आर. टेन्नाकून ने कहा कि बंदरगाह में पोत ने जब एंट्री की उस दौरान अधिकारियों को इस बात की जानकारी नहीं थी कि उसमें कौन सा पदार्थ ढोया जा रहा है. जब यह पता चला कि रेडियोएक्टिव मैटेरियल है तो पोत को फौरन पोर्ट छोड़ने के लिए कहा गया. डेली मिरर की रिपोर्ट के मुताबिक, टी. एम. आर. टेन्नाकून ने कहा कि पोत पर मौजूद अधिकारियों से कहा गया है कि वो कोई सामान पोर्ट पर मत उतारे. मामले की जानकारी मिलते ही श्रीलंका परमाणु ऊर्जा बोर्ड की एक टीम को तुरंत हंबनटोटा भेजा गया. उन्होंने बताया कि जहाज और उस जहाज पर लदी खतरनाक वस्तु से श्रीलंका को तत्काल कोई खतरा नहीं है. टेन्नाकून ने बताया कि राष्ट्रपति गोटबया राजपक्षे को घटना के बारे में जानकारी दे दी गई है.
यूरेनियम हेक्साफ्लोराइड एक खतरनाक पदार्थ
पोत पर लदा रेडियोएक्टिव पदार्थ यूरेनियम हेक्साफ्लोराइड परमाण ऊर्जा संयंत्रों में ईंधन का काम करता है. यूरेनियम हेक्साफ्लोराइड को खतरनाक पदार्थ माना जाता है. इस पदार्थ को आमतौर पर एक देश से दूसरे देश में भेजा जाता है. लेकिन श्रीलंका के नियमों के अनुसार, इसके लिए पूर्व में इजाजत लेना आवश्यक होता है. अनिल रणजीत का कहना है कि रक्षा मंत्रालय से इस मामले में चर्चा करने के बाद जहाज को पोर्ट छोड़ने के लिए कहा गया है. वही इस मसले को विपक्ष के नेता साजित प्रेमदास ने बुधवार को संसद में उठाया है. उन्होंने कहा कि नौसेना ने जहाज को वहां निरीक्षण करने की अनुमति नहीं दी थी. लेकिन सरकार को देखकर ऐसा लग रहा है कि वह किसी राजनयिक मिशन के दबाव में है. हालांकि उन्होंने किसी मिशन का नाम नहीं लिया.
ये भी पढ़ें: 8 हजार किमी की यात्रा कर भारत पहुंची राफेल की पांचवी खेप, UAE सेना ने दिया ईंधन
क्या कहा हंबनटोटा इंटरनेशनल पोर्ट ग्रुप ने
विपक्षी दल के नेता प्रेमदास ने आगे कहा कि वो सरकार से कहते हैं कि वह इसकी जांच करे. यह एक बेहद गंभीर मुद्दा है, ये कुछ ऐसा है जो अपने समुदाय के जीवन को प्रभावित कर सकता है. इस बीच, हंबनटोटा इंटरनेशनल पोर्ट ग्रुप (HIPG) ने कहा है कि "एंटीगुआ और बारबाडोस" के बैनर तले संचालित होने वाले पोत एम.वी. बीबीसी नेपल्स ने 20 अप्रैल को रात नौ बजे हंबनटोटा बंदरगाह पर प्रवेश किया था. इस पोत को चीन के रॉटरडम पोर्ट जाना है. बहरहाल, श्रीलंका की सरकार ने हंबनटोटा पोर्ट को 99 साल के पट्टे पर 2017 में HIPG को सौंप दिया था. बंदरगाह का संचालन करने वाली कंपनी पब्लिक-प्राइवेट साजेदारी में चलती है. हंबनटोटा पोर्ट श्रीलंका सरकार और चाइना मर्चेंट पोर्ट होल्डिंग्स (CMPort) के बीच एक रणनीतिक विकास परियोजना है. हिंद महासागर के सामने स्थित हंबनटोटा पोर्ट से चीन की महत्वाकांक्षी "वन बेल्ट, वन रोड" पहल में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की उम्मीद है, जो चीन और यूरोप के बीच बंदरगाहों और सड़कों को जोड़ेगी. चीन ने योजना के हिस्से के रूप में श्रीलंका के बुनियादी ढांचे में लाखों डॉलर खर्च किए हैं.undefined
ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी | आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी |
Tags: Breaking News, China, Hindi news, International news, Sri lanka, Trending news
FIRST PUBLISHED : April 22, 2021, 11:24 IST