स्टॉकहोम. कोरोना (Covid-19) के खिलाफ तैयारियों को लेकर दुनियाभर की सरकारों को आलोचना का सामना करना पड़ा है. यहां तक कि वैश्विक रूप से सबसे विकसित देशों में शुमार किए जाने वाले नॉर्डिक देशों में भी नेताओं को आलोचना झेलनी पड़ रही है. इसी क्रम में स्वीडन के प्रधानमंत्री स्टीफेन लॉफवेन (Stefan Löfven) को भी कोरोना रणनीति को लेकर विशेष समिति के सामने सवालों के जवाब देने पड़े हैं.
दरअसल स्वीडन की संवैधानिक कमेटी देश की सरकार और उसके मंत्रियों के कामों की समीक्षा करती है. प्रधानमंत्री लॉफवेन इसी कमेटी के सामने पेश हुए. कमेटी ने लॉफवेन से कोरोना टेस्टिंग और महामारी के खिलाफ सरकार की पूरी रणनीति पर सवाल किए. इससे पहले भी कमेटी लॉफवेन सरकार के कई मंत्रियों को बुला चुकी है जिसमें देश की स्वास्थ्य मंत्री भी शामिल हैं.
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा था-किसी खास रणनीति पर नहीं किया काम
बीते सप्ताह देश की स्वास्थ्य मंत्री ने कबूला था कि कोरोना के खिलाफ एक साल में प्रयास तो काफी किए गए लेकिन कोई एक निश्चित रणनीति नहीं तैयार की गई. गौरतलब है कि स्वीडन दुनिया के उन विरले देशों में शामिल है जिन्होंने कोरोना के खिलाफ लॉकडाउन की रणनीति से परहेज किया. जबकि उसके डेनमार्क जैसे पड़ोसी देश ने लॉकडाउन का इस्तेमाल कोरोना महामारी को रोकने के लिए किया था.
क्यों स्वीडन ने नहीं लगाया लॉकडाउन
बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक स्वीडन को कोरोना के खिलाफ यह तरीखा अख्तियार करने का सुझाव वैज्ञानिकों ने ही दिया था जिसे सरकार ने भी समर्थन दिया. हालांकि देश के कई एक्सपर्ट्स सरकार के इस निर्णय से खुश नहीं थे. स्वीडन में न अभी लॉकडाउन है, न पहले लगा था. पूरे कोरोना काल में लोग सामान्य जीवन जीते रहे हैं. लेकिन लोग अपने हिसा से सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते रहे. यह भी कहा गया है कि स्वीडन हर्ड इम्युनिटी पर काम कर रहा है.undefined
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Tags: COVID 19, Sweden too
FIRST PUBLISHED : April 27, 2021, 19:33 IST