आतंकवाद स्पॉन्सर करने वालों की तुलना पीड़ितों से नहीं हो सकती, इशारों में पाकिस्तान पर बरसे EAM जयशंकर

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के 46वें सत्र में विदेश मंत्री कई मुद्दों पर अपनी राय रखी है. (तस्वीर-ANI)
S Jaishankar News: विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा कि मानवाधिकार के उल्लंघन और इसके क्रियान्वयन में खामियों का चुनिंदा तरीके से नहीं बल्कि निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से समाधान होना चाहिए.
- भाषा
- Last Updated: February 23, 2021, 6:10 PM IST
जिनेवा. आतंकवाद को मानवता के लिए सबसे बड़ा खतरा बताते हुए विदेश मंत्री एस जयशंकर ने मंगलवार को कहा कि मानवाधिकार के मामलों से निपटने वाली संस्थाओं को अहसास होना चाहिए कि आतंकवाद को कभी उचित नहीं ठहराया जा सकता ना ही इसके प्रायोजकों की तुलना पीड़ितों से की जा सकती है. गौरतलब है कि कई मंचों पर पाकिस्तान खुद को आतंकवाद से पीड़ित बताता रहा है, जबकि भारत ने संयुक्त राष्ट्र जैसे कई अहम वैश्विक संस्थाओं में बार-बार इस बात पर जोर दिया है कि पड़ोसी मुल्क में किस तरह से आतंकवाद को बढ़ावा देता है.
मानवाधिकार परिषद के 46 वें सत्र के उच्चस्तरीय खंड को संबोधित करते हुए जयशंकर ने कहा कि आतंकवाद मानवता के खिलाफ अपराध है और यह जीवन के अधिकार के सबसे मौलिक मानवाधिकार का उल्लंघन करता है. उन्होंने डिजिटल तरीके से कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा, ‘आतंकवाद मानव जाति के लिए सबसे गंभीर खतरों में से एक है.’
उन्होंने कहा, ‘लंबे समय से इसका पीड़ित होने के नाते आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक कार्रवाई में भारत सबसे आगे रहा है. यह केवल तब हो सकता है जब मानवाधिकारों से निपटने वाली संस्थाओं समेत सबको इसका स्पष्ट अहसास हो कि आतंकवाद को कभी उचित नहीं ठहराया जा सकता ना ही इसके प्रायोजकों की तुलना पीड़ितों के साथ हो सकती है.’
उन्होंने कहा कि भारत ने आतंकवाद से निपटने के लिए पिछले महीने संयुक्त राष्ट्र में आठ सूत्री कार्ययोजना पेश की थी. उन्होंने कहा, ‘हम अपनी कार्ययोजना का क्रियान्वयन सुनिश्चित करने के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) और अन्य देशों के साथ काम करना जारी रखेंगे.’ उन्होंने कहा कि मानवाधिकार एजेंडा के सामने निरंतर सभी तरह के आतंकवाद की चुनौतियां बनी हुई है.
विदेश मंत्री ने कहा, ‘मौजूदा महामारी के कारण कई स्थानों पर स्थिति और जटिल हो चुकी है। इन चुनौतियों से निपटने के लिए हम सबको साथ आने की जरूरत है. इन चुनौतियों से प्रभावी तरीके से निपटने के लिए बहुपक्षीय संस्थाओं और व्यवस्थाओं में सुधार की भी जरूरत है.’
उन्होंने कहा कि मानवाधिकार के उल्लंघन और इसके क्रियान्वयन में खामियों का चुनिंदा तरीके से नहीं बल्कि निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से समाधान होना चाहिए. देश के आंतरिक मामलों और राष्ट्रीय संप्रभुता में दखल नहीं देने के सिद्धांत का भी पालन होना चाहिए
उन्होंने कहा कि भारत ने कोविड-19 लॉकडाउन के दौरान बुनियादी जरूरतों को पूरा करने के लिए बहुत प्रभावी कदम उठाए. उन्होंने कहा, ‘हमने देश में स्वास्थ्य मोर्चे पर समाधान किया और दुनिया के लिए भी कदम उठाए. हमने इस महमारी से निपटने में मदद के लिए 150 से ज्यादा देशों को जरूरी दवाओं और उपकरणों की आपूर्ति की.’
(इनपुट भाषा से भी)