दुनिया के सबसे तन्हा बतख 'ट्रेवर' की कुत्तों के हमले में मौत

ट्रेवर द डक
न्यूएई में वह एक तरह से सेलेब्रिटी था. वह इस देश में इकलौता बतख था. उसके नाम से एक फेसबुक पेज भी था.
- News18Hindi
- Last Updated: January 29, 2019, 6:10 AM IST
दुनिया के सबसे 'तन्हा' बतख ट्रेवर की मौत हो गई. वह प्रशांत महासागर में बसे छोटे से देश न्यूएई में इकलौता बतख था. कुत्तों के हमले के चलते उसकी मौत हुई. न्यूएई में वह एक तरह से सेलेब्रिटी था. वह इस देश में इकलौता बतख था. उसके नाम से एक फेसबुक पेज भी था.
वह पिछले साल इस द्वीप पर आया था लेकिन वह यहां तक कैसे आया यह किसी को नहीं पता. माना जाता है कि किसी तूफान के चलते वह अपनी मूल जगह से बिछड़ गय और न्यूएई पहुंच गया.
उसका फेसबुक पेज चलाने वाले रे फिंडले ने बीबीसी को बताया कि वह न्यूएई में पिछले साल जनवरी में नजर आया था. ऐसा लगता है कि वह न्यूजीलैंड से आया लेकिन उसके तोंगा या ऐसे ही किसी दूसरे प्रशांत महाद्वपीय देश से आने की भी संभावना है. उसका नाम न्यूजीलैंड के एक राजनेता के नाम पर रखा गया और वह लोगों की जुबान पर चढ़ गया.
वफादारी की कहानी: मालिक को बचाते- बचाते साथ जल गया...ब्रूनोन्यूएई में कोई नदी, नाला या झील नहीं है ऐसे में ट्रेवर सड़क किनारे बने एक पोखर में रहता था. स्थानीय लोग उसका पूरा ध्यान रखते थे और खाने-पीने का ध्यान रखते थे. उसके पोखर का भी पूरा ध्यान रखा जाता था और इसमें फायर ब्रिगेड से भी पानी डाला जाता था. स्थानीय लोगों का कहना है कि ट्रेवर बतख अकेला भले ही था लेकिन वह तन्हा नजर नहीं था.
फिंडले ने बताया कि उसे मटर, मक्का और ओट खिलाया जाता था. वह लोगों के बगीचों में घूमता रहता था. कई बार मादा बतख को भी लाने की मांग उठी ताकि उनकी मेटिंग कराई जा सके लेकिन ऐसा हो नहीं पाया.
बकौल रे फिंडले, 'ट्रेवर की एक मुर्गे, एक चूजे और न्यूई के स्थानीय पक्षी वेका से दोस्ती हो गई थी. ये सभी उस पोखरे के पास ही रहा करते थे. ट्रेवर की मौत के बाद से उसके दोस्त दुखी नजर आए. हमें भी एक साल उसकी आदत हो गई थी. वह काफी याद आएगा.'
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वह पिछले साल इस द्वीप पर आया था लेकिन वह यहां तक कैसे आया यह किसी को नहीं पता. माना जाता है कि किसी तूफान के चलते वह अपनी मूल जगह से बिछड़ गय और न्यूएई पहुंच गया.
उसका फेसबुक पेज चलाने वाले रे फिंडले ने बीबीसी को बताया कि वह न्यूएई में पिछले साल जनवरी में नजर आया था. ऐसा लगता है कि वह न्यूजीलैंड से आया लेकिन उसके तोंगा या ऐसे ही किसी दूसरे प्रशांत महाद्वपीय देश से आने की भी संभावना है. उसका नाम न्यूजीलैंड के एक राजनेता के नाम पर रखा गया और वह लोगों की जुबान पर चढ़ गया.
वफादारी की कहानी: मालिक को बचाते- बचाते साथ जल गया...ब्रूनोन्यूएई में कोई नदी, नाला या झील नहीं है ऐसे में ट्रेवर सड़क किनारे बने एक पोखर में रहता था. स्थानीय लोग उसका पूरा ध्यान रखते थे और खाने-पीने का ध्यान रखते थे. उसके पोखर का भी पूरा ध्यान रखा जाता था और इसमें फायर ब्रिगेड से भी पानी डाला जाता था. स्थानीय लोगों का कहना है कि ट्रेवर बतख अकेला भले ही था लेकिन वह तन्हा नजर नहीं था.
फिंडले ने बताया कि उसे मटर, मक्का और ओट खिलाया जाता था. वह लोगों के बगीचों में घूमता रहता था. कई बार मादा बतख को भी लाने की मांग उठी ताकि उनकी मेटिंग कराई जा सके लेकिन ऐसा हो नहीं पाया.
बकौल रे फिंडले, 'ट्रेवर की एक मुर्गे, एक चूजे और न्यूई के स्थानीय पक्षी वेका से दोस्ती हो गई थी. ये सभी उस पोखरे के पास ही रहा करते थे. ट्रेवर की मौत के बाद से उसके दोस्त दुखी नजर आए. हमें भी एक साल उसकी आदत हो गई थी. वह काफी याद आएगा.'
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