अमेरिका की धमकी से बेपरवाह तुर्की, कहा- रूसी एस-400 की खरीद से पीछे नहीं हटेंगे
भाषा Updated: November 16, 2019, 12:43 PM IST

तुर्की के राष्ट्रपति रजब तैयब एर्दोआन
तुर्की के राष्ट्रपति रजब तैयब एर्दोआन के प्रवक्ता इब्राहिम कालिन ने सरकारी प्रसारक टीआरटी हाबर को दिये एक इंटरव्यू में कहा कि रूसी एस-400 की खरीद से पीछे नहीं हटेंगे.
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- Last Updated: November 16, 2019, 12:43 PM IST
अंकारा. तुर्की ने शुक्रवार को कहा कि अमेरिका (America) के प्रतिबंध लगाने की धमकी के बावजूद वह रूस से एस-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम (S-400 Air Defence Systems) की खरीद से पीछे नहीं हटेगा. तुर्की के राष्ट्रपति रजब तैयब एर्दोआन के प्रवक्ता इब्राहिम कालिन ने सरकारी प्रसारक टीआरटी हाबर को दिए एक इंटरव्यू में कहा कि अपने कदम वापस लेने का सवाल ही नहीं, तुर्की एस-400 को सक्रिय करेगा.
अमेरिका ने पिछले महीने कहा था कि अगर तुर्की ने एस-400 प्रणाली सक्रिय नहीं की तो उसे 2017 के कानून के तहत प्रतिबंधों से मुक्त कर दिया जाएगा. तुर्की का रूस से सौदा और जुलाई में इस प्रणाली की आपूर्ति नाटो सहयोगियों तुर्की और अमेरिका के बीच तनाव का एक प्रमुख कारण है.
सीएएटीएसए नाम का अमेरिकी कानून रूस से हथियारों की खरीद पर पाबंदी लगाने का अधिकार देता है. इस खरीद के परिणामस्वरूप तुर्की को एफ-35 युद्धक विमान कार्यक्रम से भी हटा दिया गया था. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ बुधवार को हुई एर्दोआन की बातचीत के एजेंडे में यह भी मुद्दा शामिल था.
एस-400 लंबी दूरी की अत्याधुनिक वायु रक्षा मिसाइल सिस्टम है जो 2007 से रूस में सेवा में है. एस-400 400 किलोमीटर की दूरी और 30 किलोमीटर की ऊंचाई तक लक्ष्य पर निशाना साध सकती है. अधिकारी ने कहा, अनुबंध के क्रियान्वयन की शर्तें सबको पता हैं, 2023 तक हर हाल में इस प्रणाली की भारत को आपूर्ति की जानी है.ये भी पढ़ें : रूस ने बताया- इस साल मिल जाएगा भारत को S-400 मिसाइल सिस्टम
अमेरिका ने पिछले महीने कहा था कि अगर तुर्की ने एस-400 प्रणाली सक्रिय नहीं की तो उसे 2017 के कानून के तहत प्रतिबंधों से मुक्त कर दिया जाएगा. तुर्की का रूस से सौदा और जुलाई में इस प्रणाली की आपूर्ति नाटो सहयोगियों तुर्की और अमेरिका के बीच तनाव का एक प्रमुख कारण है.
सीएएटीएसए नाम का अमेरिकी कानून रूस से हथियारों की खरीद पर पाबंदी लगाने का अधिकार देता है. इस खरीद के परिणामस्वरूप तुर्की को एफ-35 युद्धक विमान कार्यक्रम से भी हटा दिया गया था. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ बुधवार को हुई एर्दोआन की बातचीत के एजेंडे में यह भी मुद्दा शामिल था.
एस-400 लंबी दूरी की अत्याधुनिक वायु रक्षा मिसाइल सिस्टम है जो 2007 से रूस में सेवा में है. एस-400 400 किलोमीटर की दूरी और 30 किलोमीटर की ऊंचाई तक लक्ष्य पर निशाना साध सकती है. अधिकारी ने कहा, अनुबंध के क्रियान्वयन की शर्तें सबको पता हैं, 2023 तक हर हाल में इस प्रणाली की भारत को आपूर्ति की जानी है.ये भी पढ़ें : रूस ने बताया- इस साल मिल जाएगा भारत को S-400 मिसाइल सिस्टम
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First published: November 16, 2019, 11:31 AM IST
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