Coronavirus: मौसमी बीमारी बन सकता है कोरोना वायरस, कई वर्षों तक रहेगा खतरा- UN

एन की रिपोर्ट में दावा, मौसमी बीमारी बन सकता है कोरोना वायरस
Covid-19 Second Wave: चीन (China) में सबसे पहले कोरोना (Corona) का केस मिलने के एक साल बाद भी इस बीमारी के रहस्य को वैज्ञानिक सुलझाना नहीं सके हैं. कोरोना वायरस (Coronavirus) के संक्रमण से दुनिया भर में लगभग 2.7 मिलियन लोग मारे जा चुके हैं.
- News18Hindi
- Last Updated: March 18, 2021, 8:46 AM IST
नई दिल्ली. भारत ही नहीं दुनिया के ज्यादातर देशों में एक बार फिर कोरोना (Coronavirus) की दूसरी लहर दिखाई दे रही है. हर देश की कोशिश यही है कि किसी तरह कोरोना के ग्राफ को बढ़ने से रोका जाए. कोरोना के डर के बीच संयुक्त राष्ट्र (United Nations) की ओर से कहा गया है कि कोरोना वायरस (Coronavirus) जल्द ही मौसमी बीमारी (Seasonal Disease) का रूप ले सकता है. चीन में सबसे पहले कोरोना का केस मिलने के एक साल बाद भी इस बीमारी के रहस्य को वैज्ञानिक सुलझा नहीं सके हैं. कोरोना वायरस के संक्रमण से दुनियाभर में लगभग 2.7 मिलियन लोग मारे जा चुके हैं.
कोरोना वायरस पर अध्ययन कर रही एक विशेषज्ञों ने टीम ने कोविड-19 के प्रसार पर जानकारी हासिल करने के लिए मौसम विज्ञान और वायु गुणवत्ता का अध्ययन किया और उनमें होने वाले प्रभावों को जानकारी जुटाने की कोशिश की. अध्ययन में वैज्ञानिकों ने पाया कि कोरोना वायरस अब मौसमी बीमारी की तरह अगले कुछ सालों तक इसी तरह से परेशान करती रहेगी.

इसे भी पढ़ें :- महाराष्ट्र में कोविड की स्पीड सबसे खतरनाक, 16 राज्य के 70 जिले दे रहे हैं सबसे ज्यादा टेंशनसंयुक्त राष्ट्र के 'विश्व मौसम संगठन' द्वारा गठित 16-सदस्यीय टीम ने बताया कि सांस संबंधी संक्रमण अक्सर मौसमी होते हैं. कोरोना वायरस भी मौसम और तापमान के मुताबिक अपना असर दिखाएगा. वैज्ञानिकों की टीम ने कहा कि अभी तक कोरेाना वायरस को काबू करने के लिए जिस तरह के प्रयास किए गए हैं उस पर पानी फिरता दिखाई दे रहा है. अगर ये कई सालों तक इसी तरह से कायम रह जाता है तो कोविड-19 एक मजबूत मौसमी बीमारी बनकर भरेगा.
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WHO ने दी चेतावनी- हर सप्ताह बढ़ रहे कोरोना के 10% नए केस
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के मुताबिक पिछले सप्ताह दुनिया में कोविड-19 के मामलों में 10 प्रतिशत की दर से वृद्धि हुई और इसमें सबसे अधिक योगदान अमेरिका और यूरोप का रहा. डब्ल्यूएचओ ने कोरोना वायरस वैश्विक महामारी पर बुधवार को प्रकाशित साप्ताहिक आंकड़ों में बताया कि जनवरी के शुरुआत में महामारी अपने चरम पर थी और करीब 50 लाख मामले प्रति सप्ताह आ रहे थे लेकिन फरवरी के मध्य में इसमें गिरावट आई और यह 25 लाख के करीब पहुंच गई.
कोरोना वायरस पर अध्ययन कर रही एक विशेषज्ञों ने टीम ने कोविड-19 के प्रसार पर जानकारी हासिल करने के लिए मौसम विज्ञान और वायु गुणवत्ता का अध्ययन किया और उनमें होने वाले प्रभावों को जानकारी जुटाने की कोशिश की. अध्ययन में वैज्ञानिकों ने पाया कि कोरोना वायरस अब मौसमी बीमारी की तरह अगले कुछ सालों तक इसी तरह से परेशान करती रहेगी.
इसे भी पढ़ें :- महाराष्ट्र में कोविड की स्पीड सबसे खतरनाक, 16 राज्य के 70 जिले दे रहे हैं सबसे ज्यादा टेंशनसंयुक्त राष्ट्र के 'विश्व मौसम संगठन' द्वारा गठित 16-सदस्यीय टीम ने बताया कि सांस संबंधी संक्रमण अक्सर मौसमी होते हैं. कोरोना वायरस भी मौसम और तापमान के मुताबिक अपना असर दिखाएगा. वैज्ञानिकों की टीम ने कहा कि अभी तक कोरेाना वायरस को काबू करने के लिए जिस तरह के प्रयास किए गए हैं उस पर पानी फिरता दिखाई दे रहा है. अगर ये कई सालों तक इसी तरह से कायम रह जाता है तो कोविड-19 एक मजबूत मौसमी बीमारी बनकर भरेगा.
WHO ने दी चेतावनी- हर सप्ताह बढ़ रहे कोरोना के 10% नए केस
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के मुताबिक पिछले सप्ताह दुनिया में कोविड-19 के मामलों में 10 प्रतिशत की दर से वृद्धि हुई और इसमें सबसे अधिक योगदान अमेरिका और यूरोप का रहा. डब्ल्यूएचओ ने कोरोना वायरस वैश्विक महामारी पर बुधवार को प्रकाशित साप्ताहिक आंकड़ों में बताया कि जनवरी के शुरुआत में महामारी अपने चरम पर थी और करीब 50 लाख मामले प्रति सप्ताह आ रहे थे लेकिन फरवरी के मध्य में इसमें गिरावट आई और यह 25 लाख के करीब पहुंच गई.