नागरिकता कानून को लेकर देश के कई हिस्सों मेें विरोध हो रहा है. फाइल फोटो
जिनेवा. संयुक्त राष्ट्र (United Nations) के मानवाधिकार निकाय (Human Right body) ने भारत के नए नागरिकता कानून (citizenship amendment act 2019) को लेकर शु्क्रवार को चिंता जताते हुए कहा कि इसकी प्रकृति ही ‘मूल रूप से भेदभावपूर्ण’है. नए नागरिकता कानून में पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के गैर मुस्लिम उत्पीड़ित अल्पसंख्यकों को नागरिकता देने का प्रावधान है. संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार निकाय के प्रवक्ता जेरेमी लॉरेंस ने जिनेवा में कहा, ‘हम भारत के नए नागरिकता (संशोधन) कानून 2019 को लेकर चिंतित हैं, जिसकी प्रकृति ही मूल रूप से भेदभावपूर्ण है.’
उन्होंने कहा, ‘संशोधित कानून भारत के संविधान में निहित कानून के समक्ष समानता की प्रतिबद्धता को और अंतराष्ट्रीय नागरिक एवं राजनीतिक अधिकार नियम तथा नस्लीय भेदभाव उन्मूलन संधि में भारत के दायित्वों को कमतर करता दिखता है, जिनमें भारत एक पक्ष है, जो नस्ल, जाति या धार्मिक आधार पर भेदभाव करने की मनाही करता है.’ दिल्ली में विदेश मंत्रालय ने कहा था कि नया कानून भारत में पहले से ही रह रहे कुछ पड़ोसी देशों के उत्पीड़ित धार्मिक अल्पसंख्यकों को भारतीय नागरिकता देने के लिए तेजी से विचार करने की बात कहता है.
#India: We are concerned that the new #CitizenshipAmendmentAct is fundamentally discriminatory in nature. Goal of protecting persecuted groups is welcomed, but new law does not extend protection to Muslims, incl. minority sects: https://t.co/ziCNTWvxc2#FightRacism #CABProtests pic.twitter.com/apWbEqpDOZ
— UN Human Rights (@UNHumanRights) December 13, 2019
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Tags: Citizenship bill, United nations
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