नई दिल्ली. काबुल पर बिना युद्ध लड़े मिली तालिबानी जीत (Taliban Victory) पर पूरी दुनिया चौंक गई थी लेकिन अफगान आर्मी (Afghanistan Army) के अधिकारियों को पहले से हकीकत पता थी. समाचार एजेंसी एएफपी पर प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक कुछ टॉप अधिकारियों ने कहा है कि तालिबान की जीत पूरी तरह अप्रत्याशित नहीं थी. उनका कहना है कि ये जीत टॉप लीडरशिप के फेल होने, जबरदस्त भ्रष्टाचार और तालिबान के प्रोपेगेंडा की वजह से मिली. अधिकारियों ने जोर देकर कहा है कि ऐन वक्त पर अमेरिकी सेनाओं ने भी उन्हें धोखा दिया.
गनी सरकार में टॉप अधिकारी रहे चुके एक व्यक्ति का कहना है- ’15 अगस्त को तालिबान के काबुल में घुसने के ठीक पहले अशरफ गनी ने इमरजेंसी बैठक बुलाई थी. इस बैठक में वरिष्ठ मंत्री और टॉप अधिकारी मौजूद थे. बैठक में कहा गया कि हमारे पास पर्याप्त हथियार हैं जो तालिबान को काबुल में घुसने से दो साल तक रोक सकते हैं. उस बैठक में सरकार के एक सीनियर अधिकारी ने यह भी कहा कि हमारे पास 100 मिलियन डॉलर कैश मौजूद है जो काबुल को बचाने में काम आएगा. लेकिन शहर को दो दिन तक भी नहीं बचाया जा सका.’
‘गनी सरकार के मंत्री झूठ बोल रहे थे कि सब कुछ सही है’
वो आगे कहते हैं- ‘गनी सरकार के मंत्री झूठ बोल रहे थे कि सब कुछ सही है. ये सारे झूठ सिर्फ इसलिए बोले जा रहे थे, जिससे वो अपना पद बचाए रख सकें. जब तालिबान पूरे देश में जीत हासिल कर रहा था तब हमारे नेता पॉलिसी रिफॉर्म्स पर चर्चा कर रहे थे. हमने अपनी प्राथमिकताएं नहीं तय कीं. जब तालिबान एक के बाद दूसरा शहर जीत रहा था तब नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल भर्तियों और संस्थाओं के रिफॉर्म पर चर्चा कर रही थी.’
अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडन का दावा बिल्कुल गलत है कि सेना नहीं लड़ी
एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर यह भी कहा है कि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन का दावा बिल्कुल गलत है कि अफगानिस्तान की सेना नहीं लड़ी. अफगान सेना ने बीते 20 वर्षों में अपने 66 हजार सैनिक खोए. ये हमारी सेना की पूरी संख्या का पांचवां हिस्सा था.
‘अमेरिका ने हमें धोखा दिया’
तालिबान के खिलाफ अपनी वीरता के लिए मशहूर जनरल समी सादात ने कहा, ‘हमें धोखा दिया गया.’ समी सादात को काबुल की सुरक्षा की लिए स्पेशल फोर्सेज के हेड के तौर पर बस कुछ दिनों पहले ही नियुक्त किया गया था. उनका कहना है कि जब हम जमीन पर तालिबान से लड़ाई लड़ रहे थे तब अमेरिकी युद्धक विमान ऊपर से गश्त लगाते हुए निकल जाते थे. हमें एयर स्ट्राइक की मदद नहीं मिल रही थी. बिना हवाई मदद के तालिबान को रोकना मुश्किल था.
अमेरिका के साथ डील के बाद तालिबान को जीत महसूस होने लगी थी
सादात ने न्यूयॉर्क टाइम्स से बातचीत में कहा है- ‘जब तक अमेरिका के साथ डील नहीं हुई थी तब तक तालिबान कभी अफगान आर्मी को नहीं हरा सका था. लेकिन डील के बात वो जीत को महसूस कर सकते थे. हम हर दिन अपने दर्जनों सैनिक खो रहे थे.’
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