दुनिया के सबसे कम उम्र के अल्जाइमर पेशेंट का स्टडी में पता चला है. ( फोटो-न्यूज़18)
शेफ़ील्ड (यूके): चीन में 19 साल के एक शख्स को 17 साल की उम्र से भूलने की समस्या थी. जांच करने पर पता चला कि उसे डिमेंशिया की बीमारी है. हाल ही में जर्नल ऑफ अल्जाइमर्स डिजीज में प्रकाशित एक केस स्टडी से यह जानकारी मिली. कई तरह के परीक्षणों के बाद, बीजिंग में कैपिटल मेडिकल यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने किशोर में ‘संभावित’ अल्जाइमर रोग का पता लगाया है. यदि अनुमान सही है, तो वह सबसे कम उम्र का व्यक्ति होगा जिसे डिमेंशिया की इस नामुराद बीमारी ने घेरा है. अल्जाइमर के सटीक कारण हालांकि अभी भी काफी हद तक अज्ञात हैं, लेकिन रोग की एक विशेषता मस्तिष्क में दो प्रोटीनों का निर्माण है: बीटा-एमिलॉयड और टौ. अल्ज़ाइमर से पीड़ित लोगों में, बीटा-अमाइलॉइड आमतौर पर न्यूरॉन्स (मस्तिष्क की कोशिकाओं) के बाहर बड़ी मात्रा में पाया जाता है, और टौ के ‘गुच्छे’ एक्सोंस के अंदर पाए जाते हैं, जो न्यूरॉन्स का लंबा, पतला प्रक्षेपण होता है.
दुनिया के सबसे कम उम्र का अल्ज़ाइमर रोगी
हालांकि, इस 19 वर्षीय किशोर के मस्तिष्क में इन लक्षणों के किसी भी संकेत को दिखाने में स्कैन विफल रहे. लेकिन शोधकर्ताओं ने रोगी के मस्तिष्क मेरु द्रव में पी-टौ181 नामक प्रोटीन का असामान्य रूप से उच्च स्तर पाया. यह आमतौर पर मस्तिष्क में टौ टेंगल्स के बनने से पहले होता है. 30 वर्ष से कम उम्र के लोगों में अल्जाइमर रोग के लगभग सभी मामले वंशानुगत दोषपूर्ण जीन के कारण होते हैं. दरअसल, पिछले सबसे कम उम्र -21 वर्षीय- के मामले का भी एक आनुवंशिक कारण था. युवाओं में अल्जाइमर रोग से तीन जीन जुड़े हुए हैं: एमिलॉयड अग्रदूत प्रोटीन (एपीपी), प्रीसेनिलिन1 (पीएसईएन1) और प्रीसेनिलिन2 (पीएसईएन 2). ये जीन बीटा-एमिलॉइड पेप्टाइड नामक एक प्रोटीन अंश के उत्पादन में शामिल हैं, जो पहले उल्लिखित बीटा-एमिलॉइड का अग्रदूत है.
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अनुवांशिकता है इसका प्रमुख कारण
यदि जीन दोषपूर्ण है, तो यह मस्तिष्क में बीटा-अमाइलॉइड के असामान्य जमाव को जन्म दे सकता है – जो अल्जाइमर रोग की एक पहचान होने के साथ साथ इसके उपचार के लिए एक लक्ष्य भी है, जैसे कि हाल ही में स्वीकृत दवा- ‘लेकेनमेब’. अल्जाइमर रोग विकसित करने के लिए लोगों को केवल एपीपी, पीएसईएन1 या पीएसईएन2 में से एक की जरूरत होती है, और उनके बच्चों को उनसे जीन विरासत में मिलने और बीमारी विकसित होने की भी 50:50 संभावना होती है.
अनुवांशिकता नहीं है कारण
हालांकि, इस नवीनतम मामले में एक आनुवंशिक कारण को खारिज कर दिया गया था क्योंकि शोधकर्ताओं ने रोगी के पूरे-जीनोम अनुक्रम का अध्ययन किया और किसी भी ज्ञात आनुवंशिक परिवर्तन को खोजने में विफल रहे और किशोर के परिवार में किसी को भी अल्जाइमर रोग या मनोभ्रंश का इतिहास नहीं है. युवक को कोई अन्य बीमारी, संक्रमण या सिर का आघात भी नहीं था जो उसकी स्थिति को समझा सके. यह स्पष्ट है कि उसे अल्ज़ाइमर का जो भी रूप है, वह अत्यंत दुर्लभ है.
गंभीर रूप से बिगड़ा हुआ स्मृति दोष
17 साल की उम्र में मरीज को अपने स्कूल की पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित करने में समस्या होने लगी. इसके एक साल बाद उनकी अल्पकालिक स्मृति का नुकसान हुआ. उसे याद नहीं रहता था कि उसने खाना खाया है या अपना होमवर्क किया है. उसका स्मृति लोप इतनी गंभीर हो गया कि उसे हाई स्कूल छोड़ना पड़ा (वह अपने अंतिम वर्ष में था). स्मृति लोप का पता लगाने के लिए उपयोग किए जाने वाले मानक संज्ञानात्मक परीक्षणों द्वारा अल्जाइमर रोग की संभावना जताई गई. परिणामों ने सुझाव दिया कि उनकी स्मृति गंभीर रूप से क्षीण थी. मस्तिष्क के स्कैन से यह भी पता चला कि उसका हिप्पोकैम्पस- स्मृति में शामिल मस्तिष्क का एक हिस्सा – सिकुड़ गया था. यह डिमेंशिया का एक विशिष्ट प्रारंभिक संकेत है.
अभी तक बना है रहस्य
एक मस्तिष्क बायोप्सी बहुत जोखिम भरा होता है, इसलिए उसके डिमेंशिया के जैविक तंत्र को समझना मुश्किल है और यह मामला चिकित्सा में रहस्य बना हुआ है. कम उम्र के रोगियों में अल्जाइमर रोग की शुरुआत के मामले बढ़ रहे हैं. अफसोस की बात है कि यह आखिरी ऐसा दुर्लभ मामला नहीं है जिसके बारे में हम सुन रहे हैं.
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