Sleeping Disorder: नींद हर किसी के लिए जरूरी है. चाहे इंसान हो या जानवर. लेकिन कई बार खबरें आती हैं कि फलां शख्स इतने दिनों से नहीं सोया. वह इतने दिनों तक लगातार जगा रहा. आखिर नींद का विज्ञान है क्या ? कोई शख्स बिना नींद लिए कितने दिन तक रह सकता है ? आइए जानते हैं इसका साइंटिफिक जवाब.
कैलिफोर्निया का 17 वर्षीय रैंडी गार्डनर 11 दिन और 25 मिनट तक नहीं सोया क्योंकि उसे साइंस प्रोजेक्ट बनाना था. हाईस्कूल के इस स्टूडेंट ने 1963 में यह विश्व रिकॉर्ड बनाया. कई लोगों ने इस रिकॉर्ड को तोड़ने का दावा किया. 1986 में रॉबर्ट मैकडॉनल्ड 18 दिन और लगभग 22 घंटे बिना सोए रहे, लेकिन गार्डनर की जिस तरह डॉक्टर ने बारीकी से निगरानी की वैसा किसी के साथ नहीं हुआ. गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड 1997 से ऐसी उपलब्धियों को कवर नहीं करता. क्योंकि उनका मानना है कि नींद में कमी एक बीमारी है और इसके कई खतरे हैं. (फोटो-सांकेतिक-कैनवा)
लाइव साइंस की रिपोर्ट के मुताबिक, डॉक्टरों का कहना है कि इंसान को हर 24 घंटे पर कम से कम छह घंटे जरूर सोना चाहिए. नहीं सोए तो डायबिटीज, हृदय रोग, मोटापा और अवसाद जैसी तमाम दिक्कतें होना तय है. लेकिन आज के समय में कंपटीशन का दौर इतना ज्यादा है कि स्टूडेंट तीन से चार घंटे ही नींद ले पाते हैं. न्यूयॉर्क के माउंट सिनाई अस्पताल के डॉक्टर ओरेन कोहेन कहते हैं कि जैसे ही कोई बिना नींद के 24 घंटे काम शुरू करता है, मस्तिष्क संकेत दे देता है कि उन्हें अब सो जाना चाहिए. भले ही वे जागते हुए नजर आएं. (फोटो-सांकेतिक-कैनवा)
कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय में स्लीप डिसऑर्डर सेंटर के प्रमुख अलोन एडविन के मुताबिक, जो लोग घंटों नींद नहीं लेते हैं, वे माइक्रो-स्लीप की स्थिति में रहते हैं. वे जागते हुए दिखाई तो देते हैं लेकिन उनका मस्तिष्क अनजाने में एक तरह की असमान्य नींद में चला जाता है. इसलिए अगर कोई यह कहे कि वह हफ्तों से सोया नहीं है तो गलत बात है. क्योंकि बिना सोए रह पाना तो लगभग असंभव है. कोहेन भी कहते हैं कि इस बात पर विश्वास नहीं किया जा सकता कि कोई बिना सोए 24 घंटे से ज्यादा समय तक रह सकता है. (फोटो-सांकेतिक-कैनवा)
अलोन एडविन के मुताबिक, अगर कोई सोता नहीं तो यह शरीर के लिए विनाशकारी है. अनिद्रा कई मरीजों में जेनेटिक होती है. इनके मस्तिष्क में असामान्य प्रोटीन जमा होने लगता और धीरे-धीरे नींद खराब हो जाती है. उनका शरीर बेकार होने लगता है और अंततः वे मर जाते हैं क्योंकि असामान्य प्रोटीन उनके मस्तिष्क की कोशिकाओं को अलग बनाने लगता है और उन्हें नुकसान पहुंचाता है. ऐसी बीमारी के शिकार मरीज औसतन 18 महीने से ज्यादा नहीं जी पाते. (फोटो-सांकेतिक-कैनवा)
नेचर एंड साइंस ऑफ स्लीप में 2019 में एक रिसर्च पब्लिश हुई थी. इसमें पाया गया कि 16 घंटों तक तो शरीर सक्रिय रहा लेकिन उसके बाद ध्यान में कमी आने लगी. जिन्हें अनिद्रा थी, उनकी हालत तो और भी बदतर थी. वर्ष 2000 में प्रकाशित एक अन्य रिसर्च में कहा गया कि 24 घंटे तक जागते रहने से रक्त में अल्कोहल की मात्रा 0.1% बढ़ जाती है. हाथ और आंख का समन्वय कम हो जाता है. इससे कम से प्रतिक्रिया देने की क्षमता घटती है. ध्यान भटकता है. इससे पहले चूहों पर एक रिसर्च 1989 में की गई थी. पता चला कि जानवर केवल 11 से 32 दिनों के बीच बिना सोए रह सकते हैं. इससे ज्यादा होने पर उनकी मौत तक हो जाती है. (फोटो-सांकेतिक-कैनवा)
रिसर्च के मुताबिक, नींद में कमी से कई खतरे हो सकते हैं. जैसे आप अल्कोहल पीकर कार नहीं चलाते. वैसे ही अगर आप नींद नहीं लेते तो कार नहीं चलानी चाहिए. यहां तक कि कोई गंभीर निर्णय भी ऐसे शख्स को नहीं लेना चाहिए क्योंकि दिमाग ऐसे समय में अच्छे से काम नहीं करता. इजरायल में कर्मचारियों पर 2021 में एक शोध हुआ था, पता चला कि 26 घंटे तक लगातार काम करने वाले कर्मचारियों की क्षमता में भारी कमी आ गई. (फोटो-सांकेतिक-कैनवा)