भारत अब चीन पर से अपनी निर्भरता पूरी तरह से खत्म करने की कोशिश में है. इसी के तहत उसने अर्जेटिना की एक कंपनी के साथ लिथियम को लेकर डील (India Argentina agreement for lithium) की है, जबकि अब तक चीन से भारी मात्रा में ये रासायनिक तत्व आयात किया जा रहा था. बता दें कि लिथियम का इस्तेमाल रिचार्जेबल बैटरियों में होता है और इस क्षेत्र में चीन का भारी दबदबा रहा है. लेकिन अब उम्मीद की जा रही है कि भारत का अर्जेंटिना से करार चीन का दबदबा तोड़ सकेगा. इकनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक साल 2019 में भारत ने लीथियम बैटरी का तीगुना आयात किया था. यह 1.2 अरब डॉलर था. मगर क्या आप जानते हैं कि दुनिया में ऐसे कई तत्व हैं जो इतने महंगे हैं कि आप अंदाजा भी नहीं लगा सकते! आपको जानकर हैरानी होगी कि सोना और हीरे जैसे महंगे तत्व भी इन 5 तत्वों के सामने कुछ भी नहीं हैं.
फ्रैनशियम
इस तत्व की कीमत जानकर आपके होश उड़ जाएंगे. फ्रैनशियम की कीमत 1 बिलियन डॉलर प्रति ग्राम है. आप सोच रहे होंगे कि ये इतना महंगा क्यों है. दरअसल फ्रैनशियम महज 22 मिनट तक वातावरण में रहता है. उसके बाद वो गायब हो जाता है. देखा जाए तो फ्रैनशियम का प्रति ग्राम सैद्धांतिक है. इतनी भी अधिक मात्रा में प्रैनशियम वातावरण में नहीं मौजूद रह सकता है. फ्रैनशियम का कोई इस्तेमाल नहीं होता है. इसलिए इसका निर्माण नहीं होता है.
कैलिफोर्नियम
कैलिफोर्नियम 25 मिलियन डॉलर प्रति ग्राम की कीमत का तत्व है. इस तत्व को कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय में 1950 में निर्मित किया गया था. इस तत्व को क्यूरियम और अल्फा पार्टिकल से मिलाकर बनाया गया था मगर अभी तक इस तत्व का कुछ ही ग्राम बनाया गया है. आज के वक्त में इस तत्व को महज आधे ग्राम तक ही प्रोड्यूस किया जाता है. इस तत्व को दूसरे तत्व जैसे सोने को खोजने में किया जाता है.
कार्बन
65 हजार डॉलर की कीमत पर मिलने वाला ये तत्व जीवन में बहुत अहमियत रखता है. कार्बन का दाम उसके अलग-अलग प्रकार पर निर्भर करता है. जैसे कार्बन से कोयला बनता है जो बहुत महंगा नहीं होता मगर कार्बन से ही बनने वाला हीरा करोड़ों रुपये का हो सकता है.
प्लूटोनियम
न्यूकलियर हथियार और रिएक्टर बनाने में प्लूटोनियम का इस्तेमाल होता है. ये काफी रेडियोएक्टिव तत्व है इसलिए कम ही लोगों को इसकी जरूरत पड़ती है. ये 4 हजार डॉलर प्रति ग्राम के दर से मिलता है. प्लूटोनियम का इस्तेमाल करने के लिए भी लाइसेंस की आवश्यकता होती है.
स्कैंडियम
धरती पर बेहद कम पाये जाने वाले इस धातु को 1970 में खोजा गया था. इसे अलॉय में इस्तेमाल किया जाता है. इसका दाम 270 डॉलर प्रति ग्राम तक हो सकता है. वैसे तो इसका दाम कम ही लग रहा है मगर किसी भी चीज में इस्तेमाल करने के लिए इसका काफी मात्रा में इस्तेमाल होता है जिसके चलते ये महंगा हो जाता है. दुनिया में इसका ट्रेड करीब 10 मिलियन ग्राम होता है जो कीमत में 2.7 बिलियन डॉलर तक होता है.
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