डेंटिस्ट्री (Dentistry) यानी दंत चिकित्सा सालों पुरानी है. ये आपके दांतों और मुंह की स्वच्छता से जुड़ी है. कई लोग दांतों की देखभाल को जरा भी गंभीरता से नहीं लेते हैं. इसका नतीजा ये होता है कि उनके दांत जल्द ही खराब होने लगते हैं, या फिर उन्हें मुंह से जुड़ी दूसरी समस्याएं होने लगती हैं. आज हम आपके लिए लाए हैं कुछ ऐसे डेंटल फैक्ट्स (Amazing dental facts) जिसके बारे में आपको बिल्कुल भी नहीं पता होगा और जब आप इन्हें जानेंगे तो अपने दांतों से लेकर मुंह की सेहत का खास ध्यान रखेंगे. (सभी फोटोज़ Canva से)
1. टूथ इनैमल (Tooth Enamel) यानी दांतों पर एक परत चढ़ी होती है जो हमारे दांतों को सुरक्षित रखती है. आपको जानकर हैरानी होगी कि दांतों की ये परत बेहद मजबूत होती है. अगर आपसे पूछा जाए कि शरीर में मौजूद सबसे सख्त चीज क्या होती है तो मुमकिन है कि आप हड्डी ही करें. लेकिन सच तो ये है कि दांतों की परत यानी टूथ इनैमल शरीर की सबसे सख्त (Hardest Substance in the Human Body) चीज है. Mohs Hardness Scale के आधार पर इनैमल को 5 अंक दिए जाते हैं जो इसे स्टील के बराबर सख्त बनाता है.
2. ये फैक्ट शायद आपको विचलित कर सकता है मगर सच तो ये है कि ब्रश करने के बावजूद भी आपके मुंह में 700 से ज्यादा प्रजाति के बैक्टीरिया (Bacteria in mouth) पाए जाते हैं. इसके साथ आपके लिये ये जान लेना जरूरी है कि हर बैक्टीरिया मुंह या शरीर के लिए नुकसानदायक नहीं होता है. कुछ बैक्टीरिया अच्छे भी होते हैं. हमारे पाचन तंत्र में अच्छे किटाणुओं का होना बेहद जरूरी है. हमें ध्यान देना चाहिए कि हमारे दांतों पर प्लेक ना जमे. ये बैक्टीरिया से बनी एक तरह की परत होती है. इस प्लेक के बैक्टीरिया एसिड जैसे पदार्थ बनाते हैं जो दांतों को सड़ाने का काम करते हैं. ऐसे में ब्रश करना बेहद जरूरी है.
3. अक्सर लोग जब नया टूथब्रश (Toothbrush case) खरीदकर लाते हैं तो उसे उसके प्लास्टिक केस में बंद कर के रखते हैं. उनका दावा होता है कि इस तरह ब्रश में बैक्टीरिया नहीं चिपकेंगे और वो गंदा नहीं होगा. मगर रिपोर्ट्स की मानें तो ये प्लास्टिक केस ब्रश के लिए जितने फायदेमंद होते हैं, उससे कहीं ज्यादा नुकसान पहुंचाने वाले होते हैं. सबसे बड़ा नुकसान तो ये होता है कि कई ब्रश में इतने कम छेद होते हैं कि उसमें हवा ठीक ढंग से घुस नहीं पाती जिससे ब्रश की नमी नहीं सूख पाती. इससे ब्रश पर बैक्टीरिया आसानी से पैदा हो जाते हैं.
5. आपने अपनी उंगलियों पर बने फिंगरप्रिंट तो जरूर देखे होंगे और ये भी जानते होंगे कि हर इंसान का फिंगरप्रिंट अलग-अलग होता है. किसी भी दो व्यक्ति का फिंगरप्रिंट एक नहीं हो सकता. इसी तरह हमारे दांतों पर 'टूथ प्रिंट' (Facts about toothprint) होता है. दुनिया में किसी दूसरे शख्स के दांतों का अरेंजमेंट, इनैमल आदि आपके दांतों जैसा नहीं होगा.
6. अब आते हैं सबसे हैरान कर देने वाले फैक्ट पर. आपने देखा होगा कि जब आपके सामने आपका पसंदीदा खाना आने लगता है तो मुंह में लार आ जाती है. पर क्या आपने कभी सोचा है कि इंसान के मुंह में कितनी लार बन सकती है? (How much saliva do we produce in a lifetime) बीबीसी की साइंस फोकस वेबसाइट के अनुसार इंसान के मुंह में नई लार बनने से ज्यादा पुरानी लार रीसाइकल होती है क्योंकि हम उसी लार को घोंटते रहते हैं. मगर लार बनने के दर की बात करें तो हमारे मुंह में, 1 घंटे में 30 मिलीलीटर लार बन जाती है, खाना खाते वक्त इसका दर ज्यादा होता है और सोते वक्त कम. इस हिसाब से जीवन भर में एक आम इंसान के मुंह में 20 हजार लीटर लार बनती है.
7. हमने दंत चिकित्सा से जुड़ी इतनी बातें बताईं. तो अब सवाल ये भी उठता है कि आखिर ये चिकित्सा (How old is dentistry) कीतनी पुरानी है. अमेरिकन डेंटल एजुकेशन असोसिएशन की वेबसाइट के अनुसार सिंधु घाटी सभ्यता के दौर से दंत चिकित्सा को लेकर काम हो रहा है और इसके विशेषज्ञ तब से पाए जाते हैं. यानी 7000 ईसा पूर्व के दौर से ही दंत चिकित्सा का पालन किया जा रहा है.
10. दांत की ब्रश से साफ करने पर आप उसपर जमने वाले बैक्टीरिया को तो साफ कर देते हैं. मगर दांतों के बीच भी काफी बैक्टीरिया जमने लगते हैं जहां ब्रश नहीं पहुंच पाते. ऐसे में फ्लॉसिंग (Flossing) करना काफी मददगार और फायदेमंद होता है. ये एक प्रकार की प्रक्रिया है जिसमें दांतों की उचित सफाई करने के लिए उनके बीच में नायलॉन की महीन डोरी से उसे साफ किया जाता है.
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