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PHOTOS: चांदी की मछलियों के लिए मशहूर बिहार का मनियां गांव, हर घर में कमाल की कारीगरी; मगर...

बांका. एक प्रचलित कथन है कि आप नौकरी करते हैं तो अपना विकास करते हैं, मगर कोई कारोबार करते हैं तो वह पूरे गांव समाज की बेहतरी का रास्ता होता है. इसी का उदाहरण बनकर सामने है बांका के कटोरिया प्रखंड का मनियां गांव और यहां के निवासी. यह गांव चांदी की मछली निर्माण की कारीगरी को लेकर काफी प्रसिद्ध है. लगभग पूरे गांव के लोग इस कार्य में जुड़े हुए हैं. (फोटो- नागेंद्र कुमार)

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स्वतंत्रता के पश्चात से ही इस गांव के स्वर्गीय केदार ठाकुर और स्वर्गीय बालू लाल ठाकुर द्वारा चांदी की मछलियां निर्माण का कार्य शुरू किया था. इसका इतना विस्तार हुआ कि अब लगभग पूरे गांव के लिये कुटीर उद्योग के रूप में स्थापित हो चुका है.

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इस कुटीर उद्योग में 120 घर के लोग लगे हुए हैं जिससे करीब पांच सौ लोगों को रोजगार भी मिल रहा है. लेकिन, इस कारीगरी से जुड़े लोगों की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने के चलते आज तक ये लोग केवल कामगार बनकर रह गए हैं. यूं कहें कि केवल बंधुआ मजदूर के रूप में कार्य करने को विवश हैं.

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ऐसे तो इस गांव के अधिकांश घरों में जिसमें सभी जाति के लोग चांदी की मछली का निर्माण होता है, लेकिन वह मछली अपना नहीं बल्कि सेठ-साहूकारों का मछली मजदूरी के हिसाब से बनाकर देते हैं. यही मछलियां ऊंची कीमतों पर बाजारों में बिकती हैं.

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ऐसे इस उद्योग को बढ़ावा देने को जिला प्रशासन या उद्योग विभाग से जुड़े लोग समय-समय पर आश्वासन देते रहे हैं, लेकिन कुछ खास नहीं हो पाया है.

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इस उद्योग को बढावा देने की लड़ाई लड़ने वाले संघ के अध्यक्ष ब्रह्मप्रकाश ठाकुर ने बताया कि जिला प्रशासन द्वारा उद्योग से जुड़े लोगों को बैंक से लोन दिलाने का आश्वासन मिलने की बात कह रहे हैं.

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वहीं, मछली बनाने वाले दुलारचंद ठाकुर और विनोद यादव की मानें तो दशकों से इस कला से जुड़े लोग महज बंधुआ मजदूर बनकर रह गए हैं.

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इस उद्योग को बढ़ावा देने के नाम पर सरकार की ओर से केवल जिला औद्योगिक नव प्रवर्तन योजना के तहत दो मशीन सहित कुछ कार्यशील पूंजी उपलब्ध कराया गया जो नाकाफी है.

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यही नहीं इस उद्योग के लिये दो कलस्टरों के लिये जो दो छोटी-छोटी मशीन ढ़ी गयी है वो अब तक बिजली की सही ढंग से आपूर्ति नहीं होने से कार्यशील नहीं हो सका है.

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मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के समाधान यात्रा के दौरान यहां पहुंचने पर आगामी 6 फरवरी को जिला प्रशासन इनकी कला को भी दिखाने वाली है. इसको लेकर जिला प्रशासन और उद्योग विभाग इनकी सुध लेने लगा है और हर संभव सहायता उप्लब्ध कराने की बात कह रहा है. इससे जुड़े लोग काफी आस लगाए बैठे हैं.

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    स्वतंत्रता के पश्चात से ही इस गांव के स्वर्गीय केदार ठाकुर और स्वर्गीय बालू लाल ठाकुर द्वारा चांदी की मछलियां निर्माण का कार्य शुरू किया था. इसका इतना विस्तार हुआ कि अब लगभग पूरे गांव के लिये कुटीर उद्योग के रूप में स्थापित हो चुका है.

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