जमुई. जमुई जिले के एक छोटे से गांव से आने वाले 70 साल के एक शख्स गिनीज बुक में नाम दर्ज करवाने के लिए साइकिल चला रहे हैं. 18 वर्ष की आयु से साइकिल चलानी शुरू की और लगभग 52 साल की यात्रा में आज तक भीम कई बार लगातार कई घंटों तक साइकिल चला चुके हैं. बिहार ही नहीं ओडिसा, बंगाल और उत्तर प्रदेश में सौ से भी अधिक घंटों तक लगातार साइकिल चलाने का दावा कर रहे हैं. अब आगामी 3 अप्रैल को वे 105 घंटों तक लगातार साइकिल चलाते दिखेंगे. (फोटो-केसी कुंदन)
जिले के गिद्धौर प्रखंड के मौरा गांव का रहने वाले भीम प्रसाद मेहता18 साल की उम्र से साइकिल चला रहे हैं. उम्र के इस पड़ाव में भीम एक बार फिर 105 घंटे लगातार साइकिल चलाने की तैयारी में जुटे हैं, जो आने वाले 3 अप्रैल से गिद्धौर स्थित मां दुर्गा मंदिर परिसर में होना है. यहां भीम लगातार 105 घंटे तक साइकिल चलाएंगे.
दरअसल, जब भीम मेहता की 18 साल थी तब देवघर के एक सिनेमा हॉल में हिंदी फिल्म शोर देखी थी, जिसमें एक्टर मनोज कुमार को साइकिल चलाते देख भीम ने उसे अपने रियल लाइफ में उतार लिया. यह पैसा कमाने के लिए नहीं, बल्कि रिकॉर्ड बनाने के लिए. यही कारण है कि 18 साल की उम्र में भीम साइकिल को ही अपनी जिंदगी दे दी. साइकिल चलाने की सोच जिस तरह से रील लाइफ से भीम के रियल लाइफ में आई और 5 दशक से भी अधिक समय से अभी तक जिस जुनून के साथ उम्र के इस पड़ाव में जिस तरह यह शख्स आगे बढ़ रहा है, इसकी चर्चा पूरे इलाके में होती है.
गरीब साधारण परिवार से आने वाले इस शख्स की हिम्मत और साहस की चर्चा तो होती ही है, गांव के युवा भीम को आदर्श मानते हैं. 70 साल के भीम मेहता का कहना है कि चाहे उसकी जिंदगी साइकिल पर ही चली जाए वे गिनीज बुक में अपना नाम दर्ज करवाने के लिए मेहनत करते रहेंगे.
पांच दशक से भी अधिक समय से साइकिल से मोहब्बत करने वाले इस शख्स की मानें तो उसके पास इतना संसाधन तो नहीं है, जिससे लगातार साइकिल चलाने की पूरी घटना को वे किसी कैमरे यह वीडियो में कैद कर ले, लेकिन बीते पांच दशक से भी अधिक समय जिस तरह से वह लगातार कई घंटों तक साइकिल चलाने का काम किया है.
इस शख्स का दावा है कि वो सबसे अधिक 122 घंटे 17 मिनट तक लगातार साइकिल चलायी है. उसका प्रमाण उसके पास बहुत सारा है, चाहे वह किसी पूर्व सांसद का हो या फिर किसी सरकारी अधिकारी का प्रशस्ति पत्र. उनकी पहली और अंतिम इच्छा यही है कि लगातार साइकिल चलाने को लेकर उसका नाम गिनीज बुक में दर्ज हो. भीम का कहना है कि जब 100 घंटे से अधिक लगातार साइकिल चलाने का जब आयोजन करते हैं, तब 3 दिन पहले से भोजन लेना बंद कर देते हैं, जो नित्य क्रिया करना होता है वह साइकिल चलाते ही करते हैं.
भीम प्रसाद मेहता मूलत बांका जिले के रहने वाले हैं, लेकिन ससुराल में सास ससुर के बाद कोई नहीं होने के कारण उन्हें यहीं रहना पड़ा और फिर ये जमुई जिले के मौरा गांव के ही हो गए. भीम प्रसाद मेहता के दो बेटे हैं जो दूसरे प्रदेश में मजदूरी करते हैं.
गरीबी और तमाम झंझावतों के बीच ये उम्र के इस पड़ाव में इसलिए मेहनत कर रहे हैं ताकि उनका सपना पूरा हो. इनाम में मिली साइकिल से ही ये कहीं जाते हैं. भीम मेहता के बारे में बताया जाता है कि उन्हें कहीं भी जाना होता है, साइकिल से ही जाते हैं ताकि लगातार साइकिल चलाने का उनका अभ्यास भी होते रहे.