बिना किसी सरकारी या एनजीओ की मदद से रश्मि अपनी टोली के साथ मजबूत इरादे के दम पर सुदूर इलाके के महिलाओं को उनके स्वास्थ्य के प्रति जागरूक कर रही हैं. उन्होंने 80 महिलाओं को रोजगार से भी जोड़ कर नई राह दी है
पूरा विश्व आज महिला दिवस मना रहा है. इस खास मौके पर आपको बता रहा है एक ऐसी महिला की कहानी जिसे कोई पैड विमेन तो कोई नारी शक्ति का नाम देता है. आम तौर पर आज भी जिस विषय पर महिलाएं खुलकर बात करने में संकोच करती हैं तो वहीं "सेनेटरी नैपकिन" के इस्तेमाल पर जागरुकता के साथ साथ महिलाओं को रोजगार की नई राह दिखा रही है कटिहार के "रश्मि प्रिया"
बिना किसी सरकारी या एनजीओ की मदद से रश्मि अपनी टोली के साथ मजबूत इरादे के दम पर सुदूर इलाके के महिलाओ को उनके स्वास्थ्य के प्रति जागरूक कर रही हैं. उन्होंने 80 महिलाओं को रोजगार से भी जोड़ कर नई राह दी है. रश्मि प्रिया कहती हैं कि अन्य क्षेत्र में काम करने के दौरान उनके सामने ये बाते आई थी कि महिला और किशोरी आज भी माहवारी के दौरान घरेलू कपड़ा इस्तेमाल करने के कारण बीमार हो रही हैं. कुछ म...
एक किराये के मकान में चल रहे जगरूकता सह व्यवसाय के बारे में अगर बात करें तो रश्मि कोई एनजीओ नहीं चलती हैं बल्कि वो घरेलू महिलाओं के साथ मिल कर छोटे मशीनों की सहायता से अपना दिया हुआ नाम "टेक केयर" के लेबल में सेनेटरी नैपकिन" को पैक कर अपने मौजूदगी में सुदूर इलाके तक अपने टोली के साथ सेनेटरी नैपकिन बेचती भी हैं.
हर पैकेट बिक्री के हिसाब से महिलाओं को कमीशन मिलता है जिससे उनसे जुड़ी महिलाओ को आर्थिक लाभ भी मिलता है. रश्मि के साथ जुड़ी महिला नूर जहां खातून, सारिका देवी, रजनी देवी, मोनी देवी, मंजू, रिंकू कहती हैं कि पहले शुरुआती दौर में इस विषय पर सुदूर इलाके में जा कर बाते करना भी बहुत कठिन होता था पर रश्मि की ट्रेनिंग ने राह बदल दी.
महिलाएं कहती हैं कि "रश्मि प्रिया' तो कटिहार का "पैड वीमेन"हैं. आदिवासी बहुल समाज में ग्रामीण महिलाएं कहती हैं कि पहले तो इस विषय पर बहुत जानकारी नहीं थी पर जब जानकारी हुई भी तो बाजार दूर होने के कारण और गांव-मोहल्ले के दुकान से सामाजिक लाज से सेनेटरी नैपकिन खरीदने में झिझक होती थी.
ग्रामीण प्रतिनिधि किरण यादव कहती हैं कि उनसे भी जब रश्मि द्वारा ऐसे विषय पर सामाजिक जागरूकता के लिए मदद मांगी गई थी तो पहले तो थोड़ा झिझक हुआ पर जब उन्होंने अपने समाज के महिलाओ से इस विषय पर बात की तो सभी ने जागरूकता के लिए उत्साह दिखाया और अब उन्हें रश्मि की टोली का सहयोग कर अच्छा लग रहा है.
रश्मि कहती हैं कि फिलहाल कुछ कमी के कारण वो अपना ये अभियान कटिहार के ही नगर क्षेत्र के कुछ हिस्सों में और सुदूर गांव इलाके में चला रही हैं लेकिन आने वाले दिनों में वो अपना ये जागरूकता अभियान और रोजगार को पूरे बिहार में ले जाना चाहती हैं.
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