मुंगेर के सीताकुंड को लेकर मान्यता यह है कि भगवती सीता ने अपनी पवित्रता प्रमाणित करने के लिए यहां अग्नि परीक्षा दी थी. अग्नि परीक्षा के बाद प्रज्ज्वलित अग्नि गर्म जल में परिणत हो गई. इस कारण से सीताकुंड का जल हमेशा गर्म रहता है. सीताकुंड के अलावा भगवान राम समेत चारों भाइयों के नाम पर बनाए गए कुंड का पानी शीतल रहता है.
यही मुद्गल आश्रम वर्तमान में सीताचरण मंदिर एवं कष्टहरणी घाट के रूप में प्रसिद्ध है. यहां मां सीता ने छठ व्रत किया था. पुजारी नागेंद्र कुमार मिश्र ने बताया कि मान्यता है कि मुद्गल आश्रम में ऋषियों ने सभी के हाथों प्रसाद ग्रहण किया, लेकिन रावण द्वारा हरण किए जाने के कारण सीता के हाथ से प्रसाद ग्रहण नहीं किया.
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