Nigerians Prisoner Release: पत्रकारों से बात करते हुए युगवुम ने छठ के साथ-साथ अपने परिवार के सदस्यों की फ़ोटो भी दिखाई, साथ ही छठ पूजा की यादों से जुड़ी फ़ोटो को भी उन्होंने सहेज कर रखा है. युगगुम ने सनातन का प्रतीक रुद्राक्ष और कमर में कमरबंध धागा भी पहना है. युगवुम ने बताया कि उन्हें इन सब से सुकून मिलता है. जब भी डिप्रेशन में होते हैं तो रुद्राक्ष से उन्हें बहुत सुकून मिलता है। छठी मैया की महिमा का खूब बखान करते हुए युगवुम ने कहा कि ये सब छठी मैया की ही देन है जो मैं वापस अपने वतन जा रहा हूँ और वहां अपने देश मे भी 5 सालों तक इस पूजा को करूंगा।
मुज़फ़्फ़रपुर के शहीद खुदीराम बोस जेल में छठ पूजा के दौरान चर्चा में आए नाइजीरियन बंदी सोलोमोन अलीगिव्यू और युगवुम सिनाची ओनिया को अब छठी मैया का आशीर्वाद मिल गया है. दरअसल तीन साल से बिहार के जेल में बंद दोनों नाइजीरियन बंदी को हाइकोर्ट ने रिहा कर दिया है विदेशी अधिनियम उल्लंघन मामले में जेल में बंद नाइजीरिया के युगवुम सिनाची ओनिया ने अपनी रिहाई के लिए मुज़फ़्फ़रपुर जेल में छठ पूजा किया था और पूजा करने के महज एक सप्ताह के अंदर उच्च न्यायालय ने दोनों कैदियों को रिहाई का आदेश दे दिया. (रिपोर्ट- प्रियांक सौरव)
जेल से रिहा होने वाले नाइजीरिय बंदी सोलोमोन अलीग्वियू और युगवुम सिनाची ओनिया तीन साल पहले सीतामढ़ी में विदेशी अधिनियम उल्लंघन मामले में पकड़े गए थे। इसके बाद इन्हें कोर्ट के आदेश पर विदेशी अधिनियम के तहत सीतामढ़ी जेल में बंद कर दिया गया था. कुछ माह पूर्व दोनों को शिफ्ट करके मुजफ्फरपुर जेल भेजा गया था. यहां पर इस साल हुए छठ पर्व पर युगवुम सिनाची ओनिया ने जेल में ही छठ व्रत कर सभी का ध्यान अपनी ओर खींचा था. इस महापर्व के बाद हाईकोर्ट ने इन दोनों को रिहा करने का आदेश दिया.
कागज़ी कार्रवाई पूरी करने के बाद दोनों को जेल से रिहा किया गया. जेल से रिहा होने के बाद दोनों को दिल्ली दूतावास भेजा गया था लेकिन, दूतावास ने ये कहकर लौटा दिया गया कि विदेशी नागरिकों से जुड़े ऑफिस कोलकाता और लखनऊ में हैं. दोनों को वहीं जाने की सलाह दी गयी. शनिवार रात दोनों फिर मुजफ्फरपुर पहुंचे. अब यहां से इन दोनों को कोलकाता स्थित विदेशी नागरिक विभाग के कार्यालय भेजने की कवायद की जा रही है.
टाउन थाना में पत्रकारों के सवाल का जवाब भी इन दोनो नाइजीरियन ने हिंदी में दिया. बातचीत के दौरान सोलोमोन अलीग्वियु ने बताया कि वो नाइजीरिया में वेदर में सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं, वहीं युगवुम सिनाची ओनिया खेती करते हैं और पॉल्ट्री फार्म चलाते हैं जिसमें चिकन और सुअर पालते थे. तीन साल पहले भटककर दोनों आ गए थे.
जेल में बंद युगवुम सिनाची ने News18 से बात करते हुए बताया कि पिछले महीने 17 अक्टूबर को उनके पिता का देहांत हो गया है, उनका पार्थिव शरीर अबतक फ्रिज में रखा गया है ताकि अपने वतन लौटकर युगवुम अपने पिता का अंतिम दर्शन कर सकें.
जेल में नाइजीरियन बंदी युगवुम को अपने परिवार की बाहत याद आ रही थी. उनके परिवार में उनकी पत्नी के और एक बेटी है. इसके अलावा इनके 5 भाई और 1 बहन हैं. पत्रकारों से बात करते हुए युगवुम ने अपने परिवार के सदस्यों की फ़ोटो भी दिखाई, साथ ही छठ पूजा की यादों से जुड़ी फ़ोटो को भी उन्होंने सहेज कर रखा है.
युगवुम ने छठ पूजा के दौरान पहने गए कपड़ो को सहेज के रखा है, साथ ही गले में सनातन का प्रतीक रुद्राक्ष और कमर में कमरबंध धागा भी पहना है. इसको लेकर युगवुम ने बताया कि उन्हें इन सब से सुकून मिलता है. जब भी डिप्रेशन में होते हैं तो रुद्राक्ष से उन्हें बहुत सुकून मिलता है.
छठी मैया की महिमा का खूब बखान करते हुए युगवुम ने कहा कि ये सब छठी मैया की ही देन है जो मैं वापस अपने वतन जा रहा हूँ और वहां अपने देश मे भी 5 सालों तक इस पूजा को करूंगा. बिहार के अनुभवों को लेकर दोनों ने कहा कि बिहार एक राज्य हैं जहां के नागरिक बहुत अच्छे हैं.
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