ब्राउनी कोई आदमी नहीं बल्कि इंडियन शिप डाग नस्ल का एक पालतू कुत्ता था जो सात वर्षों से अपने मालिक हिमकर मिश्रा के फार्म रामनगर के समर सैल में वाच डाग का काम करता था. शनिवार को अचानक ब्राउनी की मौत हो गई.
इसकी सूचना जैसे ही उसके मालिक हिमकर मिश्रा और फार्म के अन्य लोगों को मिली तो लोग उदास हो गये. ब्राउनी के मालिक हिमकर मिश्रा ने कहा कि ब्राउनी की अंतिम विदाई इंसान की तरह होगा. इसके बाद फार्म के लोगों ने अर्थी सजाकर पहले उसे पुष्पांजलि दी फिर उसकी अंतिम यात्रा निकाली.
हिमकर मिश्रा ने खुद उनके अर्थी को कंधा दिया और फार्म के फुलवारी में विधि विधान के साथ उन्हें दफनाया.हिमकर मिश्र कहते हैं कि उनके पास कुल पांच डाग है लेकिन ब्राउनी उसमें खास था. आज भी उसकी याद आती है तो आंसू आ जाते हैं. उन्होंने कहा कि 12 दिनों बाद जहां उसे दफनाया गया है वहां पर ब्राउनी का स्मारक बनाया जायेगा.
हिमकर मिश्र ने कहा कि ब्राउनी की मौत से रामनगर गांव के लोग भी काफी उदास हैं. हिमकर मिश्र की मानें तो उनकी जिन्दगी अपने पांचों कुत्तों के साथ ही कटती है. वह इन कुत्तों को अपने बेटा की तरह मानते हैं. अपने हाथों से इन कु्तों को खिलाते हैं और उनको प्यार करते हैं.
वहीं केयर टेकर जोगेन्द्र का कहना है कि उनके मालिक हिमकर मिश्र इन सभी कुत्तों को अपने बच्चे के समान मानते हैं. ब्राउनी के जाने से वेलोग काफी दुखी हैं. लगता है उनका अपना सगा कोई चला गया है . उनके घर मे ब्राउनी के अलावा दो जर्मन शेफर्ड और लेब्राडोर नसल के चार कुत्ते हैं. जिनसे हिमकर मिश्र काफी प्यार करते हैं.
कहते हैं सिर्फ इंसान ही नहीं बल्कि पशु पक्षी भी प्यार के भूखे होते हैं. अपने प्यारे कुत्ता की मौत के बाद जिस तरह हिमकर मिश्र ने उन्हे अंतिम विदाई दी यह वास्तव में सच्ची इंसानियत की मिसाल है.
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