सासाराम. ऐसे तो भारत के कण-कण में महादेव का वास है तथा हर शिवालयों के अपनी-अपनी कहानियां हैं. हम बात करते हैं रोहतास जिला के नौहट्टा प्रखंड के बान्दू गांव के पास सोन नदी के बीच धारा में स्थित दसशीशा नाथ महादेव स्थान की. ऐसी किदवंती है कि इस जगह रावण ने खुद शिवलिंग की स्थापना की थी. यही कारण है कि इसका नाम दसशीशा नाथ पड़ा है. (फोटो-अजीत कुमार)
चूंकि साल में लगभग 8 महीना से अधिक समय तक यह शिवलिंग सोन नदी के जल में समाहित रहती है. परंतु तीन से चार महीना ही यह शिवलिंग दर्शनार्थ उपलब्ध होता है. ऐसी मान्यता है कि एक समय महिष्मति के राजा सहस्त्रबाहु अपने सैकड़ों रानियों के साथ सोन नदी में स्नान करने पहुंचा था. लेकिन उसके चौरे चौरे भुजाओं से सोन नदी का पानी अवरुद्ध हो गया. ठीक उसी समय रावण भी भगवान शिव की आराधना के लिए इसी स्थल पर पहुंचा. परंतु जब भगवान शिव के जलाभिषेक के लिए सोन नदी का पानी रावण को नहीं प्राप्त हुआ तो रावण क्रोधित हो गया. जिसके बाद सहस्त्रबाहु तथा रावण के बीच इसी स्थल पर युद्ध हुआ. इस युद्ध में रावण की पराजय हुई.
सोन-कोयल तथा सरस्वती का संगम है बान्दू-ऐसी मान्यता है कि इसी स्थल पर कोयल तथा स्थानीय सरस्वती नदी आकर विलीन हो जाती हैं. दोनों नदियां सोन नदी में मिल जाती हैं. इस प्रकार यह तीन नदियों का संगम स्थल है और इसी स्थल पर दसशीशानाथ महादेव की स्थापना हुई है. श्रद्धालु यहां नाव से तो कभी पानी में उतर कर किसी तरह यहां पहुंच पाते हैं. यह काफी दुर्गम स्थल पर अवस्थित है. यहां पहुंचना काफी दुर्गम है. लेकिन फिर भी शिव भक्त किसी तरह यहां पहुंचते हैं और पूजा अर्चना करते हैं.
प्राचीन काल में कई राजाओं ने यहां लिखवाया है शिलालेख- प्राचीन काल में कई राजाओं ने इस महादेव स्थान पर अपने-अपने शिलालेख लिखवाए हैं. खरवार राजा प्रताप धवल देव की पूरी वंशावली यहां अंकित है. जिन जिन राजाओं ने अलग-अलग कालखंड में यहां आ कर पूजा अर्चना की है, उन लोगों ने अपने-अपने नाम अंकित करवाए हैं. इसी से पता चलता है कि यह दसशीशानाथ कितना प्राचीन तथा महत्वपूर्ण है. वर्तमान में भी दूरदराज से शिव भक्त यहां पहुंचते हैं और पूजा अर्चना करते हैं. बड़ी बात यह है कि सावन में यहां काफी लोग पहुंचते हैं. साथ ही महाशिवरात्रि को वहां मेला सा माहौल रहता है.
रहस्यमयी है दसशीशा नाथ महादेव- इसकी दुर्गमता बताती है कि दसशीशा नाथ अपने में रहस्यों का खजाना है. यह त्रेतायुगीन बताया जाता है. यह एक रहस्यमयी शिवलिंग है. जिस प्रकार से इसकी स्थापना की गई है तथा सैकड़ों वर्ष के बाद भी ये अपने स्थल पर यथावत अवस्थित है. जो अद्भुत है.
साल में ज्यादातर महीना यह पूरी तरह से जल विसर्जित रहता है. फिर भी आज भी पूरी मजबूती से ये विद्यमान है. दश शीशा नाथ महादेव शिवलिंग के दर्शन मात्र से ही शिव भक्त धन्य हो जाते है.
टाटा मोटर्स के शेयर ने तोड़ा अपना रिकॉर्ड, क्या है अगला टारगेट, एक्सपर्ट ने बताया- कहां बेचें-खरीदें ये स्टॉक
इस गार्डन में लगे हैं 15000 पेड़ और दो लाख सजावटी फूलों के पौधे, तस्वीरों में देखें इस अद्भुद गार्डन को
WTC Final: ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ भारतीय बैटर्स को बनाने होंगे खूब रन, जानें टॉप-6 का प्रदर्शन