चैतन्य के चाचा ध्रुव झा ने बताया, 'चैतन्य की पढ़ाई लिखाई सहरसा में ही हुई. शिलॉन्ग से बीटेक करने के बाद बेल्जियम से एमएस की डिग्री हासिल की. उसके बाद पीएचडी करने के लिए चैतन्य ने जर्मनी का रुख किया. वहां पढ़ाई के दौरान मार्था से दोस्ती हुई. दोस्ती के दौरान ही लड़की के पक्ष से शादी का का प्रस्ताव आया. दोनो परिवारों की रजामंदी से मिथिला की परंपरा के अनुसार शादी हुई. मार्था पोलैंड के वारसा के ओरलोवस्का की बेटी हैं.
ध्रुव झा ने यह भी बताया कि मार्था अभी हिंदी बोलना नहीं जानती. हालांकि मार्था ने वादा किया है कि वह दो-तीन महीने में हिंदी सीख लेंगी. मार्था अंग्रेजी, जर्मनी समेत 8 भाषाओं की जानकार भी हैं. शादी में सिंदूरदान समेत सभी रस्मों को मार्था ने शालीनता से निभाया. इस दौरान उनकी मां और बहन मे भी रस्मों को बड़ी दिलचस्पी दिखाई.
शादी के लिए मार्था ने खुद पहल की. दरअसल, अपने प्यार को पाने के लिए मार्था ने शादी की पहल खुद की. उन्होंने पहले अपने परिवार को चैतन्य के बारे में बताया. उनके परिवार ने सहर्ष रिश्ते को स्वीकार कर लिया. तब मार्था ने चैतन्य से उसके परिवार की रजामंदी जाननी चाही. चैतन्य ने भी अपने परिवार से बात की. दोनों परिवारों को इस रिश्ते पर आपत्ति नहीं थी. बाद में मार्था ने अपनी मां और बहन के साथ भारत आकर हिंदू रीति-रिवाज से शादी करने का फैसला किया.
मार्था लाल जोड़े में बेहद खूबसूरत नजर आईं. शादी की रस्मों के दौरान कभी प्यार से पति चैतन्य को निहारा तो कभी उन्होंने अपनी मां-बहन पर प्यार लुटाया. शादी की रस्मों को समझा. मार्था की मां ने सिंदूरदान की रस्म अदा की. अब वह यहां की रीति-रिवाजों की बारीकियों की सीख रही हैं. साथ ही हिंदी भी सीख रही हैं.
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