ये हैं कमरुल जमा. सीतामढ़ी के डुमरा प्रखंड के एक छोटे से गांव तलखापुर से इनका ताल्लुक है. यही इस बार गणतंत्र दिवस की परेड पर ब्रह्मोस मिसाइल की अगुवाई करेंगे. कमरुल जमा एक साधारण से परिवार से ताल्लुक रखते हैं और सेना में वह कर्नल के पद पर हैं.
ब्रह्मोस मिसाइल भारतीय सेना का वह अचूक शस्त्र है, जो धरती से धरती पर मारक क्षमता रखता है. 400 किलोमीटर की मारक क्षमता रखने वाला यह हथियार देश की आन-बान और शान का प्रतीक है. इसकी गति ध्वनी की रफ्तार से भी तीन गुणा ज्यादा है.
कमरुल जमा की इस उपलब्धि पर उनके घर परिवार और गांव के लोग काफी गर्व महसूस कर रहे हैं. उनके पिता आज भी एक छोटे-से रोजगार के जरिये अपनी जीविका चलाते हैं. घर में कमरुल के माता-पिता और एक बहन हैं. सभी को अपने इस लाल पर गर्व है.
कमरुल जमा के पिता गुलाम मुस्तफा का कहना है कि अपने बेटे की इस कामयाबी पर वह काफी खुश हैं और उनको अपने बेटे पर गर्व है. उनका जो सपना था उनके बेटे ने साकार करने का काम किया है.
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