आप सभी जानते हें हमारे शरीर पर कई प्रकार के जन्मजात या जीवनकाल के दौरान निकले निशान बन जाते हैं। इन्हे हम तिल, मस्सा एवं लाल मस्सा के नाम से जानते हैं। भारतीय ज्योतिष शास्त्रों की शाखा समुद्र विज्ञान में शरीर पर मौजूद चिन्हों के आधार पर व्यक्ति के भविष्य का विश्लेषण किया जाता है। शरीर पर पाए गए यह निशान हमारे भविष्य और चरित्र के बारे में बहुत कुछ दर्शाते हैं। कई बार समय के साथ तिल बन जाते हैं और गायब भी हो जाते हैं लेकिन कुछ तिल या मस्से हमेशा रहते है। हम आपको बता रहे हैं शरीर के किस हिस्से में तिल का क्या होता है मतलब।
तिल तथा मस्से का होना दोनों एक ही प्रभाव देता है। तिल आपके सभी प्रकार के शारीरिक, आर्थिक एवं चरित्र के बारे में काफी कुछ दर्शा देता है। तिल का प्रभाव हमारे लिंग से कभी भी अलग नही होता। सामान्यत: तिल सभी के शरीर पर होते हैं। एक ओर तिल व्यक्ति की सुंदरता में चार चांद लगा देते हैं, वहीं दूसरी ओर तिल व्यक्ति के स्वाभाव को भी व्यक्त करते हैं। शरीर पर तिल हो तो इन्सान को यह जानने की जिज्ञासा रहती है की इसका क्या फल होगा ..? आइये जानते है कुछ विशेष तिल के बारे में ..
ललाट पर तिल - ललाट के मध्य भाग में तिल निर्मल प्रेम की निशानी है। ललाट के दाहिने तरफ का तिल किसी विषय विशेष में निपुणता, किंतु बायीं तरफ का तिल फिजूलखर्ची का प्रतीक होता है। ललाट या माथे के तिल के संबंध में एक मत यह भी है कि दायीं ओर का तिल धन वृद्धिकारक और बायीं तरफ का तिल घोर निराशापूर्ण जीवन का सूचक होता है।
समुद्र विज्ञान के अनुसार जिनके पांवों में तिल का चिन्ह होता है उन्हें अपने जीवन में अधिक यात्रा करनी पड़ती है। दाएं पांव की एड़ी अथवा अंगूठे पर तिल होने का एक शुभ फल यह माना जाता है कि व्यक्ति विदेश यात्रा करेगा। लेकिन तिल अगर बायें पांव में हो तो उन्हें थोड़ा संघर्ष करना पड़ता है। गैर जरूरी विषयों में इनका धन व्यय होता है।
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