नई दिल्ली. किसान बिल को लेकर पंजाब हरियाणा में जबरदस्त विरोध प्रदर्शन देखने को मिल रहा है. किसानों ने चक्का जाम का ऐलान किया है. वहीं हरियाणा के जींद में भारतीय किसान यूनियन ने सड़क जाम की. जींद से पटियाला, जींद से दिल्ली और जींद से पानीपत मार्ग पर जाम लगा है. लोगों के लिए बाहर नहीं निकलने की एडवाइजरी जारी की गई है. ऐसे माहौल के बीच सरकार ने कृषि बिल से जुड़ी कुछ जरूरी बातें जारी की है. इसमें बताया उनसे जुड़े मिथकों को दूर किया गया है.
कृषक उत्पाद व्यापार एवं वाणिज्य (संवर्धन एवं सरलीकरण) विधेयक 2020: प्रस्तावित कानून का उद्देश्य किसानों को अपने उत्पाद अधिसूचित कृषि उपज विपणन समिति (एपीएमसी) यानी तय मंडियों से बाहर बेचने की छूट देना है.इसका लक्ष्य किसानों को उनकी उपज के लिये प्रतिस्पर्धी वैकल्पिक व्यापार माध्यमों से लाभकारी मूल्य उपलब्ध कराना है. इस कानून के तहत किसानों से उनकी उपज की बिक्री पर कोई उपकर या शुल्क नहीं लिया जायेगा. यह किसानों के लिये नये विकल्प उपलब्ध करायेगा. उनकी उपज बेचने पर आने वाली लागत को कम करेगा, उन्हें बेहतर मूल्य दिलाने में मदद करेगा. इससे जहां ज्यादा उत्पादन हुआ है उन क्षेत्र के किसान कमी वाले दूसरे प्रदेशों में अपनी कृषि उपज बेचकर बेहतर दाम प्राप्त कर सकेंगे.
मूल्य आश्वासन और कृषि सेवाओं पर किसान (सशक्तिकरण एवं संरक्षण) अनुबंध विधेयक 2020 (The Farmers (Empowerment and Protection) Agreement of Price Assurance and Farm Services Bill, 2020): इस प्रस्तावित कानून के तहत किसानों को उनके होने वाले कृषि उत्पादों को पहले से तय दाम पर बेचने के लिये कृषि व्यवसायी फर्मों, प्रोसेसर, थोक विक्रेताओं, निर्यातकों या बड़े खुदरा विक्रेताओं के साथ अनुबंध करने का अधिकार मिलेगा. इससे किसान का अपनी फसल को लेकर जो जोखिम रहता है वह उसके उस खरीदार की तरफ जायेगा जिसके साथ उसने अनुबंध किया है. उन्हें आधुनिक तकनीक और बेहतर इनपुट तक पहुंच देने के अलावा, यह विपणन लागत को कम करके किसान की आय को बढ़ावा देता है.
आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक 2020 (Essential Commodities (Amendment) Bill 2020): यह प्रस्तावित कानून आवश्यक वस्तुओं की सूची से अनाज, दाल, तिलहन, प्याज और आलू जैसी कृषि उपज को युद्ध, अकाल, असाधारण मूल्य वृद्धि व प्राकृतिक आपदा जैसी असाधारण परिस्थितियों को छोड़कर सामान्य परिस्थितियों में हटाने का प्रस्ताव करता है तथा इस तरह की वस्तुओं पर लागू भंडार की सीमा भी समाप्त हो जायेगी. इसका उद्देश्य कृषि क्षेत्र में निजी निवेश / एफडीआई को आकर्षित करने के साथ-साथ मूल्य स्थिरता लाना है. विरोध: इससे बड़ी कंपनियों को इन कृषि जिंसों के भंडारण की छूट मिल जायेगी, जिससे वे किसानों पर अपनी मर्जी थोप सकेंगे. सरकार का पक्ष: कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा है कि किसानों के लिये फसलों के न्यमनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की व्यवस्था जारी रहेगी.
कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि न्यूनतम समर्थन मूल्य का इस विधेयक से कोई भी लेना-देना नहीं है. न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद हो रही थी और आने वाले समय में भी होगी. इसमें किसी को शंका करने की जरूरत नहीं है. नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि ये बिल किसानों के जीवन में क्रांतिकारी बदलाव लाने वाले हैं. किसानों को अपनी फसल किसी भी स्थान से किसी भी स्थान पर मनचाही कीमत पर बेचने की स्वतंत्रता होगी.
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