Investment Option in Gold:भारत में गोल्ड में निवेश हमेशा से लोगों की पसंद रही है. हालांकि, ज्यादातर लोगों का लगता है कि गोल्ड को खरीदकर ही इसमें निवेश किया जा सकता है लेकिन ऐसा नहीं है. सोने में फिजिकल इन्वेस्टमेंट के अलावा गोल्ड बॉन्ड, डिजिटल गोल्ड, गोल्ड म्यूचुअल फंड इन इंडिया आदि विकल्प हैं, जिनके जरिए निवेश किया जा सकता है.
कुछ बैंक, फिनटेक प्लेटफॉर्म और प्रमुख आभूषण कंपनियां निवेशकों को डिजिटल सोना खरीदने की अनुमति देती हैं. डिजिटल गोल्ड मेंनिवेश करना फिजिकल गोल्ड में निवेश करने जितना ही अच्छा है. यह निवेशकों को ऑनलाइन सोना खरीदने की अनुमति देता है लेकिनइसे फिजिकली रखने की जरूरत को खत्म कर देता है.
गोल्ड ईटीएफ में निवेश स्टॉक एक्सचेंजों पर इक्विटी में निवेश करने जैसा ही है. लेकिन भौतिक सोने के विपरीत, जिसकी कीमत स्थानीय टैक्स के कारण राज्यों में भिन्न होती है, गोल्ड ईटीएफ वर्तमान सोने की कीमतों को दर्शाता है. निवेशक अपने डीमैट खाते के जरिए गोल्डईटीएफ में निवेश कर सकते हैं.
सॉवरेन गोल्ड बांड या एसजीबी सरकारी प्रतिभूतियां हैं. निवेशकों को निर्गम मूल्य का भुगतान नकद में करना होता है और परिपक्वता पर बांड को नकद में भुनाया जा सकता है. बांड भारत सरकार की ओर से रिजर्व बैंक द्वारा जारी किया जाता है. 2015 में पेश किए गए, इन बांड्स का टर्म 5 साल की लॉक-इन अवधि के साथ 8 साल है. हालाँकि, निवेशक परिपक्वता से पहले भी बॉन्ड को बेचने का विकल्प चुन सकते हैं.
गोल्ड म्यूचुअल फंड को गोल्ड-सेविंग फंड के रूप में भी जाना जाता है, ये वे म्यूचुअल फंड हैं जो गोल्ड ईटीएफ में निवेश करते हैं. लेकिन ईटीएफ के विपरीत, निवेशकों को गोल्ड फंड ऑफ फंड्स में निवेश करने के लिए डीमैट खाते की आवश्यकता नहीं है. गोल्ड सेविंग फंड्स में, एक निवेशक अपनी अर्जित पूंजी (90% -100%) का अधिकांश हिस्सा गोल्ड ईटीएफ में निवेश करता है.
मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (MCX) पर गोल्ड फ्यूचर और ऑप्शन डेरिवेटिव कॉन्ट्रेक्ट उपलब्ध हैं. पंजीकृत एक्सचेंजों पर कारोबार करते हैं।भारत में सदियों से सोने का महत्व रहा है और महंगाई व मुसीबत में गोल्ड एक ढाल का काम करता है. वेल्थ प्लानर अक्सर सुझाव देते हैं कि यह कीमती धातु निवेशक के पोर्टफोलियो का हिस्सा होनी चाहिए. लंबी अवधि के लिहाज से सोना एफडी और आरडी से बेहतर रिटर्न दे सकता है.