देश का सबसे बड़ा बैंक SBI अपने ग्राहकों को अच्छी और सुरक्षित बैंकिंग फैसिलिटी देने के लिए मशहूर है. SBI ने अपने ग्राहकों को सावधान करते हुए कई तरीकों की जानकारी दी है ताकि ऑनलाइन फ्रॉड से बचा जा सके. अगर आप स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया के कस्टमर हैं तो इन बातों को जानना आपके लिए और भी ज्यादा जरूरी है. आगे जानें ऑनलाइन धोखाधड़ी और फिशिंग के 4 प्रकार. (प्रतीकात्मक फोटो).
फिशिंग ई-मेल और जाली वेबसाइट-अपराधियों द्वारा व्यक्तिगत, वित्तीय और संवेदनशील सूचना हासिल करने के लिए भेजे गए और प्रतिष्ठित एवं विश्वसनीय व्यवसायियों, वित्तीय संस्थानों और सरकारी एजेंसियों से आए हुए प्रतीत होने वाले जाली ई-मेल, टेक्स्ट संदेश और वेबसाइट को सामान्य शब्दों में फिशिंग कहते हैं. (प्रतीकात्मक फोटो).
यह ब्रांड स्पूफिंग के नाम से भी जाना जाता है. यदि आप कभी भी ऐसा ई-मेल प्राप्त करते हैं, जिस पर आपको संदेह हो तो इसका उत्तर न दें या दिए गए लिंक पर क्लिक भी न करें. इसे डिलीट कर दें. कोई भी संदेहजनक ई-मेल जिसने एसबीआई के नाम का उपयोग किया हो के उसके बारे में आप उसी समय ही report.phishing@sbi.co.in. पर रिपोर्ट कर सकते हैं. (प्रतीकात्मक फोटो).
पॉपअप विंडो/विज्ञापन-पॉप-अप वे विज्ञापन हैं जो एक अलग ब्राउज़र विंडो में पॉप अप होते हैं. जब आप इस प्रकार के किसी भी पॉप-अप पर क्लिक करते हैं, यह भी संभव है कि आप स्पाईवेयर या एडवेयर भी डाउनलोड कर रहे हैं. (प्रतीकात्मक फोटो).
विशिंग-वित्तीय पुरस्कार के उद्देश्य से लोगों की गोपनीय, व्यक्तिगत और वित्तीय जानकारी तक पहुंचने के लिए अवैध रूप से सोशल इंजीनियरिंग और वॉइस ओवर आईपी (वीओआईपी) का प्रयोग करना विशिंग है. यह शब्द वॉइस और फिशिंग से मिलकर बना है. (प्रतीकात्मक फोटो).
धोखेबाज एक आटोमेटिक सिस्टम या वास्तविक व्यक्ति के माध्यम से किसी भी नंबर पर फोन करते हैं और किसी बैंक/वित्तीय कंपनी की तरफ से कॉल करने का दावा करते हुए आपको आपके खाते में कुछ समस्या होने का कारण बताते हुए, बैंक खाता, कार्ड ब्यौरा आदि से संबंधित जानकारी अपडेट करने के लिए कहते हैं या यह भी कह सकते हैं कि उन्होने अपने सिस्टम को अपग्रेड किया है. (प्रतीकात्मक फोटो).
स्मिशिंग-स्मिशिंग, फिशिंग के समान ही सोशल इंजीनियरिंग तकनीकों का उपयोग करते हुए आपराधिक एक्टिविटी का ही एक रूप है. स्मिशिंग से प्रभावित लोग एसएमएस संदेश प्राप्त करते हैं. स्मिशिंग नाम से ये टेक्स्ट संदेश प्राप्तकर्ता को किसी ऑनलाइन सेवा के लिए पंजीकरण करने को कहते हैं -- उसके बाद प्रयोगकर्ता के डिवाइस में वायरस डालने की कोशिश करते हैं. कुछ संदेश यह चेतावनी भी देते हैं कि यदि उपभोक्ता अपना/अपनी व्यक्तिगत या वित्तीय जानकारी एक वेबसाइट में अद्यतन नहीं करता/करती है तो उसे इसका जुर्माना देना पड़ेगा, जिसके पश्चात वे इस प्रकार की जानकारी और अन्य गोपनीय तथ्य हासिल करते हैं. (प्रतीकात्मक फोटो).
की-लोग्गिंग-अवांछित की-लोग्गिंग सॉफ्टवेयर कंप्यूटर पर टाइप किए गए समस्त तथ्य रिकार्ड कर सकता है और यह जानकारी एक बाहरी व्यक्ति को भेज सकता है. ई-मेल में अटैच्ड वायरस या अन्य प्रकार के डाउनलोड के माध्यम से अधिकांश की-लोग्गिंग स्पाईवेयर या एडवेयर कंप्यूटर को प्रभावित करते हैं. (प्रतीकात्मक फोटो).