शादीशुदा पत्नी होने के नाते हर जीवनसाथी को अपने पति के वेतन के बारे में जानने का अधिकार है. विशेषकर गुजारा भत्ता पाने के उद्देश्य के लिए वो ऐसी जानकारी ले सकती हैं. अगर पत्नी चाहे तो यह जानकारी आरटीआई के जरिए भी हासिल कर सकती है. मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के 2018 के आदेश के अनुसार, पत्नी के तौर पर विवाहित महिला को पति की सैलरी जानने का पूरा हक है.
फाइनेंशियल प्लानर से भी ले सकती हैं मदद- शादीशुदा महिला होने के एक महिला को अपने और अपने बच्चों के लिए खाने, कपड़े, रहने और अन्य बुनियादी चीजों का कानूनी अधिकार है. ऐसे में मीना को इसके लिए पति के सामने गिड़गिड़ाने की जरूरत नहीं है क्योंकि यह अधिकार उन्हें कानून से मिला हुआ है. पत्नी इस बारे में अपने पति से बात कर सकती हैं. वह समझा सकती हैं कि कुछ अनहोनी हो जाने पर इस जानकारी की जरूरत पड़ती है. अगर पति ऐसा करने के लिए इच्छुक नहीं हैं तो वह मीडिएटर या फाइनेंशियल प्लानर की मदद ले सकते हैं. वे उन्हें पति पत्नी के बीच आर्थिक मसलों को साझा करने के महत्व के बारे में बता सकते हैं.
आरटीआई के जरिए भी हासिल कर सकती हैं जानकारी- बता दें कि गुरुवार को केंद्रीय सूचना आयोग ने एक मामले की सुनवाई करते हुए यह बात कही. मामले की सुनवाई करते हुए सूचना आयोग ने जानकारी न दिए जाने के आदेश को खारिज कर दिया. इसके साथ ही जोधपुर के इनकम टैक्स डिपार्टमेंट को 15 दिनों के भीतर महिला को पति की सैलरी के बारे में डिटेल देने को कहा. आयोग ने कहा कि पत्नी को पति की ग्रॉस इनकम और टैक्सेबल इनकम के बारे में जानकारी रखने का पूरा अधिकार है. इसके साथ ही सूचना आयोग ने इस तर्क को भी खारिज कर दिया कि ऐसी जानकारी थर्ड पार्टी को नहीं दी जा सकती और यह आरटीआई के दायरे में नहीं आता है.
सूचना आयोग ने जोधपुर की महिला रहमत बानो की अपील पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया. इससे पहले भी सूचना आयोग की ओर से यह कहा जा चुका है कि सरकारी कर्मचारियों की पत्नियों को यह जानने का अधिकार है कि उनके पति को कितनी सैलरी मिलती है. यही नहीं वह यह भी जानने का हक रखती हैं कि पति को सैलरी के किस मद में कितनी रकम मिलती है और इस जानकारी को आरटीआई एक्ट के तहत सार्वजनिक भी किया जा सकता है.
पिता की प्रॉपर्टी पर भी होता है महिला का अधिकार- शीर्ष अदालत ने बेटी को भी पिता की संपत्ति में बराबरी का अधिकार दिया है. अदालत ने स्पष्ट किया कि संशोधित हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम के तहत बेटियों को भी बेटों के समान ही हिस्सा मिलेगा. कोर्ट का कहना है कि लड़की का शादीशुदा होना या नहीं होना, इसमें मायने नहीं रखता है. वह प्रॉपर्टी में बराबर का हिस्सा ले सकती हैं.