success story IFS Prakriti Srivastava: प्रकृति ने कहा, “इन आदिवासी लड़कियों के लिए मैं जो कुछ भी कर रही हूं, वह इतने वर्षों के दौरान समाज ने मुझे जो दिया है, उसकी तुलना में बहुत कम है. इसलिए मैं इसे ज्यादा से ज्यादा लड़कियों तक पहुंचाना चाहती हूं.
केरल कैडर की IFS अधिकारी प्रकृति श्रीवास्तव एक ऐसी शख्सियत हैं जो आदिवासी लड़कियों की शिक्षा के लिए लगातार योगदान दे रही हैं. यह नेक काम 2015 में शुरू हुआ. उस समय IFS प्रकृति श्रीवास्तव को पर्यावरण संरक्षण की दिशा में उनके काम के लिए 1.5 लाख रुपये के नकद पुरस्कार के साथ 'आरबीएस ग्रीन वारियर' पुरस्कार मिला. उन्होंने इस पैसे का उपयोग अगली पीढ़ी के आदिवासियों के कल्याण के लिए करने का फैसला किया. उन्होंने आदिवासी लड़कियों के लिए 'सृष्टि' नामक छात्रवृत्ति शुरू करने के लिए ये सारी रकम दान कर दी.
इसके बाद प्राकृति ने अपनी बचत से 65000 रुपये भी इस कोष में दान किए. उस साल इस स्कॉलरशिप के लिए आदिवासी लड़कियों के 22 आवेदन आए थे. उनमें से दो छात्राएं दक्षिण वायनाड से हरिता वी और वायनाड वन्यजीव से जिजीता राजन को कई चरणों की जांच के बाद चुना गया था.उन्हें 2017 से पढ़ाई के लिए प्रत्येक को 15000 रुपये की छात्रवृत्ति से सम्मानित किया गया. दोनों अब एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहे हैं. (सांकेतिक तस्वीर)
बढ़ी हुई राशि के साथ, इस वर्ष 60 से अधिक आवेदन प्राप्त हुए हैं. फिलहाल निर्धारित मापदंड के अनुसार उनकी जांच की जा रही है. 2023 में प्राकृति श्रीवास्तव ने फिर अपनी बचत से 6.75 लाख रुपये दान किए और अपनी मां को भी सृष्टि कोष में योगदान करने के लिए प्रेरित किया. उनकी मां ने सृष्टि छात्रवृत्ति के लिए राज्य वन कोष में 4 लाख रुपये का दान दिया. 12.90 लाख की कुल धनराशि के साथ उन्होंने 2017 में दान किए गए 2.15 लाख रुपये और 2023 में दान किए गए 10.75 लाख रुपये शामिल हैं. (सांकेतिक तस्वीर)
मीडिया से बातचीत में , प्रकृति श्रीवास्तव ने कहा, “मैंने कई आदिवासी बस्तियों को करीब से देखा है. वे प्रकृति की इस तरह की कठिनाइयों और अनिश्चितताओं के बीच जेसे रहते हैं, उसके लिए उनकी तारीफ करनी चाहिए. मैं हमेशा उनके लिए कुछ करना चाहती थी.” केरल वन विभाग ने श्रीवास्तव के योगदान को एक बैंक खाते में जमा कर दिया है. इस कोष पर मिलने वाले ब्याज के पैसे से आदिवासी लड़कियों को पढ़ाई में मदद के लिए छात्रवृत्ति दी जाएगी. केरल वन विभाग इस वर्ष पांच और छात्रवृत्ति देगा. (सांकेतिक तस्वीर)
प्रकृति ने कहा, “इन आदिवासी लड़कियों के लिए मैं जो कुछ भी कर रही हूं, वह इतने वर्षों के दौरान समाज ने मुझे जो दिया है, उसकी तुलना में बहुत कम है. इसलिए मैं इसे ज्यादा से ज्यादा लड़कियों तक पहुंचाना चाहती हूं. मैं अपनी सेवानिवृत्ति के बाद भी इस पहल को पूरे देश में फैलाने की कोशिश करूंगी. (सांकेतिक तस्वीर)
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