हंसराज देव नामक इस व्यक्ति ने अपने बाड़े में बड़े-बड़े पिंजरे बनवाकर इन्हें रखा था. पूछताछ में हंसराज ने दावा किया कि वह निजी चिड़ियाघर संचालित करता है. उसने वन्य जीव संरक्षण एवं पर्यावरण सुरक्षा समिति ग्राम रतावा के नाम से संचालित चिड़ियाघर के दस्तावेज भी दिखाए. साथ ही बीमार पशुओं के इलाज की भी बात कही. वन विभाग की टीम ने पूछताछ के बाद उसे छोड़ दिया है. कुछ दस्तावेज जब्त किए गए हैं, जिसकी जांच चल रही है. जांच रिपोर्ट आने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी. बिरगुडी रेंजर सोनेसिंह सोरी ने बताया कि 2 साल पहले भी उसके पास से बड़ी संख्या में वन्य प्राणी जब्त हुए थे.
वन्य प्राणी संरक्षण अधिनियम के तहत किसी भी वन्य प्राणी को कैद में रखने या उन्हें मार डालने पर दो से सात साल तक की सजा हो सकती है. वाइल्ड लाइफ एक्ट 1991 के अनुसार शेर, चीता, भालू, हिरण, कोटरी और सांप को शेड्यूल-1 में रखा गया है. यानी सबसे महत्वपूर्ण वन्य प्राणियों की सूची में इनका नाम है. ऐसे वन्य प्राणियों को कोई भी संस्था या व्यक्ति अपने कब्जे में नहीं रख सकता. ऐसा करते पकड़े जाने पर सीधे गिरफ्तार कर कोर्ट में केस फाइल करने का नियम है.
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