छत्तीसगढ़ में नक्सल प्रभावित जिलों के सूदूर ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों से सार्थक बातचीत के प्रयास में जुटी राज्य की पुलिस गाहे-बगाहे स्थानीय लोगों के साथ जुड़ने का कार्यक्रम बनाती रहती है. आज विश्व आदिवासी दिवस पर भी पुलिस की एक ऐसी ही पहल चर्चा में है. ग्रामीण आदिवासियों के साथ पुलिस की सहभागिता की यह तस्वीर सुकमा जिले से आई है, जहां विश्व आदिवासी दिवस के मौके पर आयोजित कार्यक्रम में जिले के पुलिस कप्तान यानी एसपी ने भी शिरकत की. फोटोः सत्यनारायण चांडक/उपेश सिन्हा
नक्सल प्रभावित केरलापाल इलाके में आदिवासी दिवस पर रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया था, जिसमें जिले के एसपी सुनील शर्मा भी शामिल हुए. स्थानीय आदिवासी पुरुषों-महिलाओं के साथ एसपी ने आदिवासी पोशाक पहनकर ढोल के साथ नृत्य किया. ग्रामीणों के साथ उनके आयोजन में शरीक होने वाले एसपी की सराहना की जा रही है.
आदिवासी बहुल बलरामपुर जिले में सर्व आदिवासी समाज के लोगों कार्यक्रम का आयोजन किया. जनपद पंचायत कुसमी के प्रांगण में हुए इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर संसदीय सचिव एवं सामरी विधायक चिन्तामणी महाराज शामिल हुए. इस दौरान आदिवासी समाज की महिलाओं का नृत्य देख वहां मौजूद हर शख्स छत्तीसगढ़ की कला संस्कृति के प्रति मुग्ध हो उठा.
ढोल बजाते पुरुष और पैरों की थाप देतीं महिलाओं की धमक के बीच पूरा माहौल आदिवासी संगीत से महक रहा था. रंग-बिरंगी पोशाक में सजी महिलाओं के साथ-साथ पारपंरिक वेश-भूषा में सजे-धजे पुरुष भी लोगों को आकर्षित कर रहे थे. विश्व आदिवासी दिवस की ये तस्वीरें आपको भी कुछ देर तक इन आदिवासियों के बीच होने का अनुभव देंगी.
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