छत्तीसगढ़ राज्य की कुल 90 सीटों के लिए दो चरणों में मतदान संपन्न हुए. 20 नवंबर को मतदान का दूसरा और अंतिम चरण पूरा होने के बाद से हर ओर सुगबुगाहट है. दोनों ही प्रमुख पार्टियों बीजेपी और कांग्रेस को पूर्ण बहुमत की उम्मीद है, हालांकि किसकी जीत होगी, इसके लिए सबकी आंखें मंगलवार, 11 दिसंबर पर लगी हुई हैं. सरगुजा संभाग में कुल सीट 14 सीटें हैं, जानिए, इन सीटों की खासियत और कौन सी प्रमुख पार्टियों से कौन चुनाव में शामिल हुआ.
अंबिका सिंह देव(कांग्रेस)जीते. कोरिया जिले की बैकुंठपुर विधानसभा सीट भाजपा के लिए बेहद अहम मानी जाती है. 2008 में हुए विधानसभा चुनावों में भी कांग्रेस के बेदांती तिवारी को भारतीय जनता पार्टी से प्रत्याशी और बैकुंठपुर के वर्तमान विधायक भैयालाल राजवाड़े से करीब 6 हजार के बड़े अंतर से हार का सामना करना पड़ा था. ऐसे में कांग्रेस एक बार फिर भाजपा को हराने की कोशिश में लगी है, लेकिन माना जा रहा है कि अजीत जोगी की पार्टी इस बार कांग्रेस और भाजपा के लिए काफी मुश्किलें पैदा कर सकती है. यहां बीजेपी ने बढ़त बनाई हुई है.
सूरजपुर जिले की 3 विधानसभाओं प्रेमनगर, भटगांव और प्रतापपुर से क्रमशः 13, 20 और 12 उम्मीदवार हैं. प्रेमनगर इसमें काफी अहम सीट मानी जाती है, जहां बीजेपी के विजय प्रताप सिंह के मुकाबले पर कांग्रेस के खेलसय सिंह हैं. दोनों ही प्रमुख पार्टियां जीत के कयास लगा रही हैं, जिनमें कांग्रेस का कहना है कि वोटर को बदलाव चाहिए, वहीं सत्ताधीन पार्टी बीजेपी सत्ता में बने रहने की उम्मीद कर रही है. इस सीट से खेलसय सिंह(कांग्रेस) जीते.
भटगांव विधानसभा से 20 प्रत्याशी चुनाव में शामिल हुए. इनमें भाजपा की रजनी त्रिपाठी और कांग्रेस से पारसनाथ राजवाड़े शामिल हैं. इस अनारक्षित सीट पर दोनों पार्टियों की कड़ी टक्कर है, इसके अलावा जेसीसीजे के सुरेंद्र चौधरी भी अपने पक्ष में रिजल्ट आने की उम्मीद कर रहे हैं. कांग्रेस से पारसनाथ राजवाड़े जीते.
रामानुजगंज से 14 उम्मीदवार हैं, जिनमें भाजपा से रामकिशन सिंह और कांग्रेस से बृहस्पति सिंह हैं. रामनानुजगंज से बृहस्पत सिंह जीते.
सीतापुर सीट से 11 उम्मीदवार खड़े हुए, जिनमें भाजपा से गोपालराम भगत और कांग्रेस से अमरजीत भगत शामिल हैं. यहां पर कांग्रेस से अमरजीत सिंह भगत जीते.
पत्थलगांव सीट से 11 उम्मीदवार खड़े हुए. इनमें बीजेपी से शिवशंकर पैकरा और कांग्रेस से रामपुकार सिंह खड़े हुए.
कुनकुरी विधानसभा सीट से 14 उम्मीदवार शामिल हुए, इनमें बीजेपी से भरत साय और कांग्रेस से उत्तम दान मिंज एक-दूसरे को कड़ी टक्कर दे रहे हैं.
सामरी विधानसभा सीट से 10 उम्मीदवार खड़े हुए, जिनमें भाजपा से सिद्धनाथ पैकरा और कांग्रेस से चिंतामणि महाराज हैं.
बीजेपी के लिए सबसे बड़ी चुनौती एंटी इनकम्बेंसी है. इसका असर पिछले चुनावों में सरगुजा और बस्तर की सीटों में सीधे तौर पर देखने को मिला था. इस बार भी सरगुजा में हालात किसके पक्ष में हैं, इसका सीधा इशारा नहीं मिल रहा. यहां लुंड्रा सीट से 15 प्रत्याशी रहे, जिनमें बीजेपी के विजयनाथ सिंह और कांग्रेस से प्रीतम राम हैं. लुंड्रा सीट से कांग्रेस के डॉ. प्रीतम राम को जीत मिली.
प्रतापपुर 2008 में ही विधानसभा सीट बनी है. इससे पहले ये सीट पिलखा में आती थी. 2013 में इस एसटी सीट पर भारतीय जनता पार्टी के रामसेवक पैकरा ने जीत दर्ज की थी. प्रतापपुर के शिवपुर में मौजूद शिवमंदिर टूरिस्टों के लिए काफी पसंदीदा जगह है. इस बार प्रतापपुर से 12 प्रत्याशी खड़े हुए. इनमें बीजेपी के रामसेवक पैकरा और कांग्रेस से प्रेम सिंह टेकाम की दावेदारी प्रबल है. हालांकि यहां बीजेपी पीछे चल रही है.
मनेंद्रगढ़ विधानसभा से 10 उम्मीदवार हैं. इसमें बीजेपी से श्यामबिहारी जायसवाल के मुकाबले कांग्रेस से विनय जायसवाल हैं. यहां पर स्वास्थ्य सुविधाएं और अच्छी शिक्षा कुछ बड़े मुद्दों में से हैं और इन्हीं के आधार पर जीत हो सकती है. हालांकि कई दूसरे समीकरण भी काम करेंगे. फिलहाल बीजेपी से श्यामबिहारी जायसवाल आगे चल रहे हैं.
सरगुजा जिले की अंबिकापुर विधानसभा सीट छत्तीसगढ़ के सबसे पुराने शहरों में से एक है. छत्तीसगढ़ में रेल कनेक्टविटी, बड़े स्कूल, अन्य चीजें मौजूद हैं. लेकिन ये क्षेत्र अधिकतर खेती पर निर्भर है, अंबिकापुर का करीब 40 फीसदी इलाका कृषि से ताल्लुक रखता है. इसलिए इन चुनावों से यहां के किसानों को बड़ी आस है. अंबिकापुर से इस बार 22 उम्मीदवार हैं, जिनमें बीजेपी से अनुराग सिंह देव और कांग्रेस से टीएस सिंहदेव हैं. इस सीट पर कांग्रेस ने बढ़त बनाई हुई है. कांग्रेस के दिग्गज नेता कांग्रेस सिंहदेव जीत चुके हैं.
जशपुर कुछ बेहद महत्वपूर्ण सीटों में से है. यहां 12 उम्मीदवारों में भाजपा से गोविंदराम भगत और कांग्रेस से विनय कुमार भगत खड़े थे. विनय कुमार भगत (कांग्रेस)जीते.