भारत अपनी विभिन्न सांस्कृतिक व धार्मिक विरासत के लिए जाना जाता है. यह आस्था का देश है, जहां लाखों की संख्या में मंदिर और अन्य पूजास्थल हैं. यहां पूजा पद्धति भी अलग-अलग है. कोई पेड़-पौधों की पूजा करता है तो किसी की आस्था पशुओं में है. यूपी के झांसी में तो एक मंदिर ऐसा है जिसमें कुतिया की मूर्ति स्थापित है.
यहां के लोगों का कहना है कि एक कुतिया इन दोनों गांवों में रहती थी, जो किसी भी आयोजन में खाने पहुंच जाती थी. एक बार रेवन गांव में भोजन का कार्यक्रम था. रमतूला की आवाज सुनते ही कुतिया खाना खाने के लिए रेवन गांव में पहुंच गई. लेकिन, वहां खाना खत्म हो चुका था. इसके बाद वह ककवारा गांव पहुंची, वहां भी खाना नहीं मिला और इस तरह वह भूख से मर गई.
इलाके के ही रहने वाले इतिहास के जानकार हरगोविंद कुशवाहा का कहना है कि कुतिया की मौत से दोनों गांव के लोगों को बहुत दुख हुआ था, जिसके बाद उन्होंने कुतिया को दोनों गांव की सीमा पर गाड़ दिया और कुछ वक्त बाद वहां एक मंदिर बना दिया. अब परंपरा ये है कि अगर आसपास के गांव में कोई आयोजन होता है तो लोग इस मंदिर पर जाकर भोजन चढ़ाते हैं.
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