Mata Laxmi ke 8 Roop: हिन्दू धर्म ग्रंथों में माता लक्ष्मी (Goddess Laxmi) को धन, वैभव, संपत्ति, यश और कीर्ति की देवी के रूप में पूजा (Worship) जाता है. हिन्दू मानते हैं कि माता लक्ष्मी की कृपा के बिना जीवन में समृद्धि और सम्पन्नता (Prosperity) नहीं आ सकती. इसलिए हर व्यक्ति माता लक्ष्मी की कृपा पाने के लिए अलग-अलग तरह के जतन करता है. जिनपर माता लक्ष्मी की कृपा होती है वे ऐश्वर्य और वैभव पा लेते हैं. माता लक्ष्मी को हिन्दू अलग-अलग रूपों में पूजते हैं. धर्म ग्रंथों में माता लक्ष्मी के 8 स्वरूपों का वर्णन मिलता है, जिन्हें अष्टलक्ष्मी कहा गया है. आइए जानते हैं अष्टलक्ष्मी के सभी स्वरूपों के बारे में.
आदि लक्ष्मी को श्रीमद्भागवत पुराण में माता लक्ष्मी का पहला स्वरुप माना गया है. इन्हें मूल लक्ष्मी या महालक्ष्मी भी कहा जाता है. पुराणों में कहा गया है कि मां आदि लक्ष्मी ने ही जगत की उत्पत्ति की है और भगवान श्री हरी के साथ जगत का सञ्चालन भी करतीं है.
धर्म ग्रंथों में माता लक्ष्मी के दूसरे स्वरुप को धन लक्ष्मी कहा गया है. इनके एक हाथ में सोने से भरा कलश है और दूसरे हाथ में कमल का फूल है. धन लक्ष्मी की पूजा करने से व्यक्ति की आर्थिक परेशानियां दूर होतीं है और कर्ज से भी मुक्ति मिलती है.
माता लक्ष्मी का तीसरा रूप है धान्य लक्ष्मी. ये सृष्टि में अनाज के रूप में वास करती हैं. इन्हें माता अन्नपूर्णा का ही एक रूप माना गया है. इनकी पूजा करने से घर में भंडार भरे रहते हैं.
इन्हें माता लक्ष्मी का चौथा स्वरुप कहा गया है. ये हाथी के ऊपर कमल के आसन पर विराजती हैं. मां गजलक्ष्मी को कृषि में पूजा जाता है. मान्यता है कि इनकी आराधना करने से संतान की भी प्राप्ति होती है.
स्कंदमाता को ही संतान लक्ष्मी के रूप में पूजा जाता है. ये माता लक्ष्मी का पांचवी स्वरुप है. इनके चार हाथ हैं और ये गोद में स्कन्द कुमार को बालक के रूप में लेकर विराजती हैं. माना जाता है कि माता अपने भक्तों की रक्षा अपनी संतान के रूप में करती हैं.
माता लक्ष्मी का यह रूप अपने भक्तों को ओजस, सहस और वीरता प्रदान करता है. वीर लक्ष्मी की आराधना करने से हर युद्ध में विजय प्राप्त होती है. वीर लक्ष्मी अपने हाथों में तलवार और ढाल जैसे अस्त्र-शस्त्र धारण करती हैं.
माता लक्ष्मी का सातवां स्वरुप है जय लक्ष्मी. जिन्हें विजय लक्ष्मी के नाम से भी जाना जाता है. माना जाता है. मां जय लक्ष्मी की आराधना करने से भक्तों को जीवन के हर क्षेत्र में विजय प्राप्त होती है. माता जय लक्ष्मी यश, कीर्ति और सम्मान प्रदान करती हैं.
मां के अष्ट लक्ष्मी स्वरूप का आठवां रूप विद्या लक्ष्मी है. ये ज्ञान, कला और कौशल प्रदान करती हैं. इनका रूप ब्रह्मचारिणी देवी के जैसा है. इनकी साधना से शिक्षा के क्षेत्र में सफलता प्राप्त होती है.