यूजीसी अध्यक्ष एम जगदीश कुमार ने न्यूज एजेंसी के साथ एक साक्षात्कार में यह आंकड़ा शेयर किया और कहा कि प्राप्त धनराशि 14,443 छात्रों को वितरित की जाएगी. कुमार ने कहा, बड़ी संख्या में छात्र आर्थिक रूप से कमजोर पृष्ठभूमि से आते हैं. उन्हें बेहतर विश्वविद्यालय में दाखिला लेने की आजादी होनी चाहिए लेकिन जब तक उन्हें पहले के विश्वविद्यालय से फीस वापस नहीं मिल जाती तब तक वह ऐसा नहीं कर पाते.
यूजीसी अध्यक्ष ने कहा, कई विश्वविद्यालयों के मामले में हमें हस्तक्षेप करना पड़ता है और अत: 12.14 करोड़ रुपये 832 छात्रों को वापस किए गए जिन्होंने केंद्रीय, राज्य, निजी या डीम्ड विश्वविद्यालयों में दाखिले लिए थे. यूजीसी ने पहले कहा था कि 31 अक्टूबर 2022 तक दाखिला रद्द कराने या अन्य विश्वविद्यालयों में प्रवेश लेने वाले छात्रों की पूरी फीस वापस की जाए. इस तिथि के बाद 31 दिसंबर 2022 तक संस्थानों से कहा गया कि वे फीस में से 1,000 रुपये से ज्यादा की राशि नहीं काट सकते.
कुमार ने कहा, यूजीसी ने संस्थानों द्वारा इन दिशानिर्देशों का उल्लंघन करने के संबंध में शिकायतों तथा छात्रों एवं अभिभावकों द्वारा अदालतों में दायर मामलों को गंभीरता से लिया. यूजीसी ने दोहराया है कि दिशानिर्देशों का सख्ती से पालन किया जाए और इनका उल्लंघन करने वाले संस्थान को दंडात्मक कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा.
यूजीसी प्रमुख ने यह भी कहा कि दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) ने अन्य विश्वविद्यालयों के लिए एक मिसाल कायम की है कि छात्रों की ऐसी शिकायतों से कैसे निपटा जाए और फीस लौटायी जाए. उन्होंने कहा, डीयू ने 13,611 छात्रों की फीस लौटायी है जो कि 16.95 करोड़ रुपये है. अत: यूजीसी को 14,443 छात्रों के 29.10 करोड़ रुपये मिले हैं. (यूजीसी अध्यक्ष एम जगदीश कुमार )
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