'शोले' की फिल्म के आज किसी डायलॉग की बात नहीं करेंगे. 'जय-वीरू' जैसे कलाकारों की भी बात नहीं करेंगे. आज हम बात करेंगे कुछ ऐसे 'किरदारों' की जिन्होंने बिना कुछ बोले ही फिल्म को चार चांद लगा दिए. इन 'किरदारों' को जब हम देखते हैं तो 'शोले' फिल्म की पूरी स्टोरी याद आ जाती है.
'शोले' के नाम सुनते ही आपके जेहन में याद आते होंगे 'जय-वीरू', 'बसंती' के साथ शायद आपको फिल्म का एक-एक किरदार याद होगा. शताब्दी की सबसे बड़ी फिल्मों में से एक शोले हर भारतवासी के दिल में बसी है. सिर्फ किरदार ही नहीं बल्कि एक-एक डायलॉग भी लोगों की जुबान पर रहता है. कई डायलॉग तो ऐसे होंगे, जिन्हें शायद हर दर्शक ने अपने जीवन में जरूर कभी न कभी बोले भी होंगे. लेकिन आज हम बात उन डायलॉग कि नहीं, 'जय-वीरू' जैसे कलाकारों की भी नहीं कर रहे हैं. आज हम बात करेंगे कुछ ऐसे 'किरदारों' की जिन्होंने बिना कुछ बोले ही फिल्म को चार चांद लगा दिए. इन 'किरदारों' को जब हम देखते हैं तो 'शोले' फिल्म की पूरी स्टोरी याद आ जाती है. चलिए बताते हैं वह कौन से 'किरदार' थे, जिन्होंने 'शोले' फिल्म में अपनी छाप छोड़ी और फिर अमर हो गए.
इन 'किरदारों' में से सबसे पहले आती है वो 'लाल' रंग की ट्रेन. इस फिल्म में ट्रेन का भी रोल बेहद खास रहा है. फिल्म की शुरुआत में ही जय-वीरू की एंट्री, ट्रेन से ही होती है. ट्रेन पर लगातार 15 मिनट का दृश्य फिल्माया गया है. पुलिस अधिकारी यानी ठाकुर, जय-वीरू को हथकड़ी लगाए ट्रेन पर ही ले जा रहे होते हैं और इसी दौरान डाकू का हमला होता है. यहीं से एक मामूली से चोर 'जय-वीरू' फिल्म के हीरो के रूप में उभर कर आते हैं बाद में जब ठाकुर 'जय-वीरू' को बुलाते हैं तब भी ट्रेन ही विशेष भूमिका निभाती है.
बाइक और साइड कार फिल्म का दूसरा वो किरदार है, जो हमेशा हमेशा के लिए लोगों के दिल में बस गया. यह बाइक इसलिए भी खास थी. क्योंकि इसमें दो नहीं बल्कि 4 लोगों के बैठने की सीट थी. बाइक को विशेष तौर पर इस फिल्म के लिए तैयार करवाया गया था. 'जय-वीरू' ने इस बाइक को चुराया था. फिल्म का सबसे पॉपुलर गाना 'ये दोस्ती हम नहीं तोडेंगे' इस पर फिल्माया गया है.
आपको 'बसंती' का 'तांगा' भी याद होगा और उस तांगे पर धर्मेंद्र यानी 'वीरू' के साथ की बातचीत. उसके बाद जब अंत में अमिताभ बच्चन कहते हैं, 'तुम्हारा नाम क्या है बसंती'. तो हर दर्शक खुशी से झूम उठता है. इसी तांगे पर 'वीरू' और 'बसंती' का रोमांस शुरू होता है और आगे बढ़ता है.
'शोले' वह फिल्म थी, जिसने अक्सर दोस्तों के बीच किसी भी निर्णय के लिए सिक्के का उपयोग करवाना शुरू किया. सिक्का अमिताभ उछालते चाहें डाकुओं से लड़ते समय हो या किसी भी चोरी को करते समय, जीत हमेशा जीत उन्हीं की यानी 'जय' की ही होती. अमिताभ बच्चन कि भले ही इस फिल्म के अंत में मौत हो जाती है लेकिन एलिजाबेथ का वो सिक्का अमर हो जाता है.
'ठाकुर' की चादर भी इस फिल्म का एक ऐसा 'किरदार' है, जो शुरू से अंत तक दिखाई दिया और अमर हो गया. चादर का यह 'किरदार' शायद ही कभी किसी ने सोचा होगा, लेकिन पूरी फिल्म में संजीव कुमार यानी ठाकुर ने चादर से खुद को ढके रखा और गब्बर को भी इसी चादर को ओढ़े-ओढ़े ही मारा.
आपको 'जय' यानी अमिताभ बच्चन का वह माउथ ऑर्गन भी याद होगा, जिसे फिल्म में बैठकर बजाते दिखे. इसी माउथ ऑर्गन की वजह से 'जय' और 'राधा' यानी जया बच्चन के बीच कनेक्शन बना. इसी माउथ ऑर्गन के सहारे अमिताभ ने जया बच्चन यानी 'राधा' को रिझाने की कोशिश की. धर्मेंद्र यानी 'वीरू' भी कई बार फिल्म में माउथ ऑर्गन का प्रयोग करते दिखाई देते हैं.
'पानी की टंकी' को लोग अक्सर जीवन कहे जाने वाले जल का स्रोत मानते हैं, लेकिन 'शोले' फिल्म ने 'पानी की टंकी' के विषय में लोगों की सोच को ही बदल दिया. फिल्म के सबसे लोकप्रिय है दृश्य में से एक वह है जब वीरू टंकी पर चढ़कर मौसी से बसंती का हाथ मांगते हैं. शराब के नशे में धुत दिखाए गए धर्मेंद्र मौसी को खुदकुशी तक की धमकी दे देते हैं, हालांकि कई लोग इस पर सवाल भी उठाते हैं कि जब गांव में बिजली ही नहीं थी तो 50 फीट ऊंची पानी की टंकी पर पानी पहुंचता कैसे था. खैर जो भी हो लेकिन पानी की टंकी इस फिल्म की वजह से अमर हो गई.
आपको 'गब्बर' का वो रोहिल्ला अंदाज तो याद होगा, लेकिन उसके पास एक ऐसा 'किरदार' था, जो लोगों के मन में खौफ पैदा कर देता था. वह किरदार था 'गब्बर' की 'बेल्ट'. 'गब्बर' यानी अमजद खान हमेशा उस फिल्म में हाथ में बैठ लिए दिखाई दिए हैं. फिल्म का सबसे मशहूर डायलॉग भी इसी बेल्ट के साथ फिल्माया गया है. 'गब्बर' जब कहता हैं 'कितने आदमी थे' और 'तेरा क्या होगा कालिया', उस समय भी उनके हाथ में बेल्ट ही होती है.
'किरदारों' की बात हो तो उस 'पहाड़ी' को कैसे भुलाया जा सकता है, जिसपर 'गब्बर' और उसके साथियों का कब्जा होता है. इन पहाड़ियों ने ही लोगों के मन में डर पैदा कर दिया था. और इस बात को बता था दिया कि डाकू पहाड़ियों में रहते हैं. पहाड़ियों पर 'गब्बर' का वह मशहूर डायलॉग बोला गया है, 'अरे ओ सांबा कितना इनाम रखी है सरकार हम पर...' इसके अलावा वो डायलॉग भी पहाड़ियों पर ही बोला गया है, 'गोली 6 और आदमी 3, बहुत नाइंसाफी है...'
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