अफगानिस्तान संकट (Afghanistan Crisis) पर हर कोई फ्रिक्रमंद है. तालिबानी हुकूमत के बारे में सोच कर ही लोगों की रुह कांप उठी है. अफगानिस्तान पर कई डॉक्यूमेंट्री और फिल्म ‘काबुल एक्सप्रेस’ (Kabul Express) बना चुके कबीर खान (Kabir Khan) ने कुछ तस्वीरें सोशल मीडिया पर शेयर की हैं.
इस समय पूरा अफगानिस्तान (Afghanistan) फिर से तालिबान (Taliban) के कब्जे में आ चुका है. इंडिया के फेमस डॉक्यूमेंट्री और फिल्म मेकर कबीर खान (Kabir Khan) ने एक फिल्म बनाई है ‘काबुल एक्सप्रेस’ (Kabul Express). सन 2006 में बनी ये फिल्म तालिबानी शासन खत्म होने के बाद पहली इंटरनेशनल फिल्म थी तो वहीं कबीर की भी पहली फिल्म थी. कबीर खान को ‘काबुल एक्सप्रेस’ की मेकिंग के दिन याद आ रहे हैं. इंस्टाग्राम पर अफगानिस्तान की फोटोज शेयर की हैं. (फोटो साभार: kabirkhankk/Instagram)
‘काबुल एक्सप्रेस’ की कहानी तो नवंबर 2001 में ही तय हो गई थी. 9/11 की घटना के ठीक बाद तालिबानी शासन खत्म हुआ और जर्नलिस्ट वहां कवर करने पहुंचे. फिल्म में जॉन अब्राहम और अरशद वारसी ने दो ऐसे ही जर्नलिस्ट का रोल प्ले किया था. (फोटो साभार: kabirkhankk/Instagram)
‘काबुल एक्सप्रेस’ कबीर खान की डायरी एक्सपीरिएंस की तरह फिल्म थी. कबीर ने अफगानिस्तान पर कई डॉक्यूमेंट्री बनाई थी. जाहिर सी बात है फिल्म की स्क्रिप्ट में उनका फायदा भी मिला. (फोटो साभार: kabirkhankk/Instagram)
कबीर खान ने मीडिया को दिए एक इंटरव्यू में बताया था कि इस फिल्म को बनाने का ख्याल इसलिए आया था कि मैं कई बार अफगानिस्तान जा चुका था. मेरे पूर्वज अफगान से ताल्लुक रखते थे ये भी एक वजह थी. मैं एक पठान हूं और बचपन में मैंने एक बुक पढ़ी थी जिसका नाम ‘रुट्स’ (Roots) था. ये एक ऐसे शख्स की कहानी थी जो अपने इतिहास की खोज में जुटा था. मैं भी जानना चाहता था कि मैं कहां से ताल्लुक रखता हूं, इसलिए कई बार अफगानिस्तान गया और डॉक्यूमेंट्री बनाई. (फोटो साभार: kabirkhankk/Instagram)
कबीर खान ने अपने एक इंटरव्यू में बताया था कि ‘काबुल में फिल्म बनाना है तो धमकी मिलनी तय थी. उन्हें हमारे हर मूवमेंट की जानकारी होती थी. बड़े ही तनाव से भरे दिन थे. शूटिंग के वक्त क्रू से अधिक तो सुरक्षाकर्मी हुआ करते थे. दरअसल तालिबान वहां के लोगों की सामान्य दिनचर्या को दुनिया को दिखाने के खिलाफ थे. (फोटो साभार: kabirkhankk/Instagram)
कबीर ने मीडिया को दिए अपने इंटरव्यू में बताया था कि ‘संगीनों के साए के बीच कई बार ऐसा हुआ था कि फिल्म की शूटिंग रोकने के लिए जान से मारने की धमकी तालिबान देता रहा. एक बार तो ऐसा हुआ कि जैसे ही कबीर ने बोला कैमरा रोल, दूसरी तरफ से गोली सनसनाती हुई आ गिरी. (फोटो साभार: kabirkhankk/Instagram)
हालांकि अफगानिस्तान की सरकार ने शूटिंग के दौरान सुरक्षा मुहैया करवाया था. 60 हथियारबंद कमांडो और करीब 35 एसयूवी मुहैया करवाई थी ताकि शूटिंग में किसी तरह का खलल न पड़े. क्योंकि अगर फिल्म टीम धमकियों से डरकर इंडिया लौट जाती तो अफगानिस्तान सरकार की हार होती. (फोटो साभार: kabirkhankk/Instagram)
फिल्म के लीड एक्टर जॉन अब्राहम ने शूटिंग के खौफनाक दिनों को याद करते हुए एक इंटरव्यू में बताया था कि आए दिन मौत की धमकी और आत्मघाती बम विस्फोट से सब दहशत में रहते थे. वहीं अरशद वारसी ने बताया था कि वहां मोबाइल से अधिक बंदूके हैं'. बता दें कि सबसे बुरी हालत वहां की लड़कियों और महिलाओं की है. तालिबानी शासन में हिजाब पहनना अनिवार्य है. (फोटो साभार: kabirkhankk/Instagram)