गुरूग्राम नगर निगम में लगातार बढ़ते भ्रष्टाचार को रोकने के लिए भले ही निगम कमिश्नर अपने अधिकारियों को लगातार चेतावनी दे रहे हो, लेकिन नगर निगम में एक और फर्जीवाड़ा सामने आया है. यहां गायों के नाम पर मोटा खेल किया जा रहा था. जयपुर की एक कंपनी राजबीर एसोसिएटस को इसका टेंडर दिया हुआ था. कुछ सामाजिक कार्यकर्ताओं को जानकारी मिली थी कि कंपनी के कर्मचारी सड़क पर गायों को पक़ड़ने की जगह प्राइवेट गौशाला से बीमार और दूध नहीं देने वाली गायों को कैंटर में लेजाकर सरकारी गौशाला में छोड़ आते है.
नगर निगम की तरफ से इस कंपनी को एक गाय को पकड़ने के औऱ उसे सरकारी गौशाला में पहुंचाने के 2200 रूपए मिलते है. महीनें में कीरब 300 के करीब गायों को गौशाला पहुंचाया जाता है. सामाजिक कार्यकर्ताओं को इसकी जानकारी मिली कि कंपनी के कर्मचारी एक बार फिर सड़क की बजाय प्राइवेट गौशाला से कुछ पशुओं को लेकर जा रहे है. उसके बाद सामाजिक कार्यकर्ताओं ने मौके पर पहुंचे वहां गौशाला से एक वीडियो बनाया और उसके बाद उस गाड़ी का पिछा किया जिसमें गाय और बछड़ों को भरकर लाया जा रहा था.
ये कैंटर राजबीर एसोसिएटस् का था जो की घाटा गांव में बनी प्राइवेट गौशाला से गायों को लेकर अशोक विहार में बनी नंदी गौशाला में लेकर पहुंचा. इस कैंटर में 6 के करीब पशुओं को एक बार ही लाया जा सकता है जबकि उस कैंटर में 13 से ज्यादा पशुओं को भरा हुआ था जिसमें कुछ बछड़ों को तो चोट भी आ गई थी.
गुरूग्राम नगर निगम में हो रहे इस फर्जीवाडे में सबसे बड़ी बात ये है कि इसी राजवीर एसोसिएटस कंपनी को ही बंदर और गाय पकड़ने का दो जॉन का ठेका दिया हुआ है. वहीं इस संबंध में नगर निगम के अधिकारियों के अलावा गुरूग्राम पुलिस को भी इसकी शिकायत कर दी गई है. इस पर अधिकारियों का दावा है कि जल्द ही ठेकेदार के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.