बेल्जियम में अपनी सेटल्ड जिंदगी को छोड़कर भारत लौटे गुरपिंदर सिंह का कहना है कि वे बेल्जियम में बस गए थे. पंजाब में पांतड़ा कस्बे जोकि पटियाला जिले में आता है, वहां उनकी जन्मभूमि है. हम किसान परिवार से हैं और पिता से पहले से ही लंगर सेवा में सहयोग दे रहे हैं. अब उनके कहने पर पर ही लौटा हूं. यहां आकर हर तरह से किसानों की मदद करेंगे. उन्होंने बताया की वो 26 जनवरी को होने वाली ट्रैक्टर परेड में भी भाग लेंगे.
ऐसा नजारा कई जगह देखने को मिला. किसान आंदोलन में अब एनआरआई भी शिरकत करने आ रहे हैं. ये वे लोग हैं जिनके पिता किसान हैं और वह कृषि कानून के विरोध में हैं. किसान आंदोलन को मजबूत करने के लिए एनआरआई दिल्ली की सीमाओं पर पहुंच रहे हैं. नए कृषि कानूनों से नाराज किसानों को दिल्ली बॉर्डर (Delhi Borders) पर प्रदर्शन करते हुए 50 दिन हो गए हैं.
गुरपिंदर के साथ आये पुष्पेंद्र सिंह ने बताया की वो किसान परिवार से हैं और किसानी करते हैं. आज हम बोलेरो से ट्राली को जोड़कर सिंघु बॉर्डर पर किसानों के धरने को समर्थन देने जा रहे हैं.
विदेश में बसी अपनी गृहस्थी छोड़कर भारत किसान आंदोलन को सपोर्ट करने पहुंचे एनआरआई का कहना है कि जब तक कृषि के तीन कानून रद्द नहीं होते हमारा विरोध जारी रहेगा. वह दिल्ली बॉर्डर पर ही किसानों को समर्थन और सेवा करेंगे. भारत में किसान आंदोलन की खबर मिलने पर कई विदेश में रहने वाले भारतीय वापस लौट रहे हैं. कई ग्रुप दिल्ली जाते हुए दिखे, जो कह रहे हैं कि वह कृषि कानून में खिलाफ हो रहे आंदोलन को सपोर्ट करने आये हैं.
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