मेवात. मेवात जिले में प्रशासनिक उपेक्षा के कारण ऐतिहासिक धरोहर मिटती जा रही है. पुरात्तव विभाग का भी मेवात की धरोहरों को संजोय रखने पर खास ध्यान नहीं है. जिले में राजाओं की अनेक राजधानी व ऐतिहासिक शहर मौजूद हैं. जिनमें मुगल काल से पहले व बाद के शानदार नक्काशी से सजे खूबसूरत महल, बावड़ी, मंदिर, मस्जिद आदि मौजूद हैं. ऐतिहासिक इमारतों को समय रहते बचाया नहीं गया तो मेवात का गंगा-जमुना तहजीब का अंत हो जाएगा, जिससे आने वाली पीढ़ी दंत कथा तक सिमट कर रह जाएगी.
बात अगर जिले के पिनगवां कस्बे की करें तो यहां स्थित राजा नल के महल, बावड़ी, मकबरा और कुआं की हालत जर्जर हो गई है. ये मेवात की एकता, अखण्डता व गौरवशाली इतिहास को ब्यां कर रहे हैं. जिले की कुछ ऐतिहासिक धरोहरों को पुरात्तव विभाग ने अपने कब्जे में लिया हुआ है. हालांकि, उनको बचाने के लिए खास कदम आज तक नहीं उठाए गए हैं.
इसके अलावा आधा दर्जन इमारतें आज भी लावारिस हालत में खंडहर होने के कगार पर पंहुच चुकी हैं. जिले के ग्रामीण व समाजसेवियों ने सरकार से मांग करते हुए कहा कि मेवात आंचल का गौरवशाली इतिहास रहा है. यहां अनेक राजाओं ने राज किया. लेकिन हिन्दू-मुस्लिमों में कभी बवाल नहीं हुआ. ऐतिहासिक इमारतों से पूरी मेवात भरा हुआ है.
कुल मिलाकर मेवात का इतिहास गौरवशाली है. यहां के वीर सपूतों ने न केवल मुल्क के लिए कुर्बानियां दी ,बल्कि मेवात इलाके के ऐतिहासिक स्थल आज भी इसके गौरवशाली इतिहास की गाथा सुना रहे हैं. भाजपा सरकार अगर इन ऐतिहासिक और धार्मिक स्थलों को अगर पर्यटक स्थल के रूप में विकसित करती है, तो इलाके के विकास से लेकर यहां के इतिहास की दुनिया साक्षी बनेगी. सरकार को यहां से अच्छा खासा राजस्व भी मिल सकता है.
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